क्या बांके बिहारी मंदिर के खजाने की गुमशुदगी पर विवाद उत्पन्न हुआ है?

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क्या बांके बिहारी मंदिर के खजाने की गुमशुदगी पर विवाद उत्पन्न हुआ है?

सारांश

मथुरा का श्री बांके बिहारी जी मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। तोषखाने को खोले जाने के बाद खजाने के गायब होने पर संतों ने पीएम मोदी से सीबीआई जांच की मांग की। क्या यह एक साजिश है?

Key Takeaways

  • तोषखाना खोले जाने का विवाद
  • खजाना गायब होने की सूचना
  • सीबीआई जांच की मांग
  • संतों की एकजुटता
  • धार्मिक आस्था पर प्रभाव

मथुरा, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी मंदिर के कई साल पुराने तोषखाने को हाल ही में खोले जाने के बाद से एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया है। तोषखाने में खजाना गायब मिलने पर ब्रज के संतों का गुस्सा भड़क उठा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।

18 अक्टूबर को, मंदिर समिति ने 54 वर्षों के बाद इस तहखाने को खोला था। दावे के अनुसार, तोषखाने में सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात से भरे आभूषण और दान की गई संपत्ति के कागजात होने चाहिए थे, लेकिन अंदर केवल कुछ बर्तन, एक सोने की छड़, तीन चांदी की छड़ें, कुछ मोती, और दो तांबे के सिक्के ही मिले। करोड़ों रुपए के कथित खजाने का कोई भी निशान नहीं मिला।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी महाराज ने इस मामले को एक साजिश करार देते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि खजाने के तालों पर सरकारी सील न होने का फायदा उठाकर कुछ मंदिर व्यवस्थापकों ने श्रद्धालुओं द्वारा दान की गई संपत्ति चुरा ली। महाराज ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की सीबीआई से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

साथ ही, उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारियों की व्यक्तिगत संपत्ति की भी तुरंत जांच की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह करोड़ों भक्तों की आस्था का सवाल है, इसलिए देरी बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

महाराज ने बताया कि उन्होंने 19 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इसी मांग का पत्र लिखा था, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

इस बीच, वृंदावन के उड़िया बाबा मंदिर में संत समाज की एक बैठक हुई, जहां साध्वी इंदुलेखा, अनिल कृष्ण शास्त्री, राजेश पाठक, और महामंडलेश्वर रामदास महाराज जैसे संतों ने एकजुट होकर सीबीआई जांच की मांग दोहराई। साध्वी इंदुलेखा ने कहा कि राजा-महाराजाओं और भक्तों द्वारा दान किया गया यह खजाना सनातन धर्म की धरोहर है, इसे लूटने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।

संतों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सीबीआई जांच शुरू नहीं हुई, तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे। उनका कहना है कि मंदिर प्रबंधन की लापरवाही से लाखों-करोड़ों का चढ़ावा गायब हो गया है।

इतिहासकारों के अनुसार, 1971 में आखिरी बार खजाना खोला गया था, तब कुछ सामान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मथुरा में जमा किया गया था।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है। संतों की मांग को गंभीरता से लिया जाना चाहिए ताकि श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस न पहुंचे।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

बांके बिहारी मंदिर का तोषखाना कब खोला गया?
तोषखाना 18 अक्टूबर को 54 साल बाद खोला गया।
तोषखाने से क्या मिला?
तोषखाने से केवल कुछ बर्तन, सोने की एक छड़, चांदी की तीन छड़ें, कुछ मोती और दो तांबे के सिक्के मिले।
संतों ने किससे सीबीआई जांच की मांग की है?
संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीबीआई जांच की मांग की है।
इस मामले में कौन-कौन से संत शामिल हैं?
इस मामले में दिनेश फलाहारी महाराज, साध्वी इंदुलेखा, और महामंडलेश्वर रामदास महाराज जैसे संत शामिल हैं।
क्या उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई कार्रवाई की है?
अब तक उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।