क्या बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनने पर मंदिर भी वहीं बनाएंगे?
सारांश
Key Takeaways
- बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास 6 दिसंबर को।
- ज्योतिर्मय सिंह महतो का मंदिर बनाने का ऐलान।
- ममता बनर्जी की धर्म आधारित राजनीति पर सवाल।
- टीएमसी और भाजपा के बीच बढ़ते विवाद।
- राजनीतिक बयानबाजी का सामाजिक प्रभाव।
कोलकाता, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने यह ऐलान किया है कि मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद का शिलान्यास होगा। इस पर भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने कहा कि यदि वहां बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया, तो हम वहां मंदिर बनाएंगे और रामलला को वापस लाएंगे।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए ज्योतिर्मय सिंह महतो ने सवाल उठाया कि बाबर कौन था? क्या हमें बाबरी मस्जिद की आवश्यकता है? उन्होंने कहा कि बाबर एक लुटेरा था और उसके नाम पर कुछ भी बनाना हमें गंभीरता से सोचना होगा। हम हर धर्म का सम्मान करते हैं, लेकिन लुटेरों के नाम पर मस्जिद बनाना एक दुर्भाग्य की बात है।
उन्होंने आगे कहा कि ममता बनर्जी ने बंगाल को बांट दिया है। वह केवल एक धर्म की राजनीति करती हैं और अपने वोट बैंक को बनाए रखती हैं। यही कारण है कि आम जनता उनसे नाखुश है। वह सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक के बारे में सोचती हैं। उनका यह कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है, क्योंकि कांग्रेस और सीपीआई की तरह उनकी पार्टी भी अब सत्ता में नहीं आएगी।
वहीं, भाजपा सांसद अग्निमित्रा पॉल का कहना है कि मंदिर और मस्जिद का निर्माण कोई भी कर सकता है, लेकिन टीएमसी धर्म और धार्मिक स्थलों को लेकर राजनीति करती है। जब 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, तब टीएमसी विधायक इस मस्जिद के निर्माण की घोषणा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए क्या किया है?
उन्होंने सवाल किया कि ममता बनर्जी ने केवल मुस्लिमों का उपयोग किया, लेकिन उनके लिए क्या किया? केवल मस्जिद बनाने की बात कहकर मुस्लिमों का भला नहीं किया जा सकता। टीएमसी उनके हाथों में बम और बंदूक थमा रही है।