क्या भारत–अमेरिका वायुसेना का युद्धाभ्यास आपसी तालमेल और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है?

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क्या भारत–अमेरिका वायुसेना का युद्धाभ्यास आपसी तालमेल और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है?

सारांश

भारतीय वायुसेना और अमेरिकी वायुसेना का द्विपक्षीय अभ्यास एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य आपसी सहयोग को बढ़ाना और सामरिक क्षमताओं में सुधार करना है। क्या यह अभ्यास भविष्य के लिए नई संभावनाएं खोलेगा?

Key Takeaways

  • आपसी तालमेल को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण अभ्यास।
  • बी-1बी लांसर जैसे अत्याधुनिक विमानों का उपयोग।
  • जटिल युद्ध परिदृश्यों पर सामरिक कार्य।
  • भारत-अमेरिका के बीच मजबूत रक्षा सहयोग
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करना।

नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस) भारतीय वायुसेना और संयुक्त राज्य अमेरिका की वायुसेना के बीच एक अत्यंत महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वायु अभ्यास चल रहा है। इस संयुक्त अभ्यास का मुख्य उद्देश्य वायु सेनाओं के बीच आपसी समझ, सामरिक सहयोग और अंतरसंचालन क्षमता को बढ़ाना है।

गुरुवार, १३ नवंबर को इस अभ्यास का अंतिम दिन है। इस अभ्यास में अमेरिकी वायुसेना ने अपने अत्याधुनिक बी-1बी लांसर सुपरसोनिक बमवर्षक विमान के साथ भाग लिया है। इसकी सटीक और घातक मारक क्षमता इसे अपनी लंबी दूरी की प्रहार क्षमता और सटीक टारगेट तकनीक के लिए प्रसिद्ध बनाती है।

भारतीय वायुसेना ने इस अभ्यास में विभिन्न अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, परिवहन विमान और वायु रक्षा प्रणालियों को शामिल किया है। अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने कई जटिल युद्ध परिदृश्यों का सामना किया, जिसमें एयर डिफेंस ऑपरेशन, स्ट्राइक मिशन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, हवा में ईंधन भरना और संयुक्त मिशन योजना शामिल हैं।

इस दौरान पायलटों और तकनीकी दलों ने एक-दूसरे की रणनीतियों, तकनीकों और संचालन प्रक्रियाओं से महत्वपूर्ण अनुभव साझा किया। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भविष्य के बहुराष्ट्रीय अभियानों में बेहतर सामंजस्य स्थापित करना और उभरते सुरक्षा परिदृश्य में संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत बनाना है। भारतीय वायुसेना द्वारा बताया गया है कि यह अभ्यास १० नवंबर को शुरू हुआ और आज १३ नवंबर को समाप्त हो रहा है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को मजबूत करेगा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस अभ्यास के दौरान अमेरिकी और भारतीय वायुसेना के पायलटों ने एक-दूसरे की पेशेवर क्षमता और सामरिक सोच को निकटता से अनुभव किया।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार के अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के नए आयाम खोलते हैं। यह एक संकल्प भी है कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी आगे भी मजबूत होगी और साझा सुरक्षा हितों की रक्षा में निरंतर सहयोग जारी रहेगा।

गौरतलब है कि जबकि दोनों देशों की वायु सेनाएं इस संयुक्त अभ्यास में भाग ले रही हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी इन दिनों अमेरिका की एक महत्वपूर्ण आधिकारिक यात्रा पर हैं। उनकी यह यात्रा बुधवार १२ नवंबर को शुरू हुई थी।

नौसेना के अनुसार, एडमिरल त्रिपाठी की इस यात्रा का उद्देश्य भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच पहले से मजबूत समुद्री साझेदारी को और सुदृढ़ बनाना है। भारतीय और अमेरिकी नौसेना के बीच के ये मजबूत संबंध भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग का एक प्रमुख स्तंभ हैं।

एडमिरल त्रिपाठी १७ नवंबर तक संयुक्त राज्य अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर हैं। इस यात्रा के दौरान वे अमेरिकी युद्ध विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों में अन्य वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ भी विचार-विमर्श होगा।

Point of View

बल्कि वैश्विक सुरक्षा में भी योगदान देता है।
NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भारतीय और अमेरिकी वायु सेनाओं के बीच आपसी समझ, सामरिक सहयोग और अंतरसंचालन क्षमता को बढ़ाना है।
अभ्यास में कौन से विमान शामिल हैं?
अभ्यास में अमेरिकी वायुसेना का बी-1बी लांसर और भारतीय वायुसेना के विभिन्न अत्याधुनिक लड़ाकू विमान शामिल हैं।
यह अभ्यास कब शुरू हुआ?
यह अभ्यास १० नवंबर को शुरू हुआ था और आज १३ नवंबर को समाप्त हो रहा है।
इस अभ्यास का महत्व क्या है?
यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को मजबूत बनाएगा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
क्या भारतीय नौसेना प्रमुख की अमेरिका यात्रा का इस अभ्यास से संबंध है?
हाँ, भारतीय नौसेना प्रमुख की यात्रा का उद्देश्य अमेरिकी नौसेना के साथ समुद्री साझेदारी को और मजबूत बनाना है।