क्या भारत-रूस के बीच असैन्य परमाणु और अंतरिक्ष सहयोग की नई राहें खुल रही हैं?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और रूस के बीच असैन्य परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ रहा है।
- अंतरिक्ष कार्यक्रमों में साझेदारी को और मजबूत किया गया है।
- मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत हथियारों का संयुक्त निर्माण किया जाएगा।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय यात्रा के बाद शुक्रवार रात को मॉस्को के लिए रवाना हो गए। भारत दौरे के दौरान उन्होंने 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस अवसर पर दोनों पक्षों ने असैन्य परमाणु और अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सहयोग समझौते किए।
इस दौरान दोनों पक्षों ने ईंधन चक्र, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपीपी), और गैर-ऊर्जा अनुप्रयोगों के संचालन के लिए जीवन चक्र समर्थन सहित परमाणु ऊर्जा में सहयोग को और मजबूत करने के अपने इरादे की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने भारत सरकार की 2047 तक भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता को 100 गीगावाट तक बढ़ाने की योजना के संदर्भ में, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
दोनों पक्षों ने केकेएनपीपी के कार्यान्वयन में प्रगति का स्वागत किया और उपकरणों एवं ईंधन की आपूर्ति की समय-सीमा का पालन करने पर सहमति व्यक्त की।
अगले चरण में, भारत में दूसरे स्थल पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण पर चर्चा की जाएगी। भारतीय पक्ष पहले से हस्ताक्षरित समझौतों के अनुसार औपचारिक आवंटन को अंतिम रूप देने के प्रयास करेगा।
अंतरिक्ष में सहयोग को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों, उपग्रह नेविगेशन और ग्रहों की खोज के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रूसी राज्य अंतरिक्ष निगम 'रोस्कोस्मोस' के बीच बढ़ी हुई साझेदारी का स्वागत किया। उन्होंने रॉकेट इंजन के विकास में सहयोग पर भी चर्चा की।
सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग भारत और रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। यह साझेदारी वर्तमान में उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास की ओर बढ़ रही है।
दोनों नेताओं ने 4 दिसंबर को आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी के 22वें सत्र के निष्कर्षों का स्वागत किया। उन्होंने सशस्त्र बलों के संयुक्त सैन्य अभ्यास इंद्र की सराहना की और सैन्य प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान का विस्तार करने का संकल्प लिया।
दोनों पक्षों ने मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत रूस में निर्मित हथियारों के रखरखाव और संयुक्त निर्माण को प्रोत्साहित करने पर सहमति व्यक्त की।