क्या भारत-ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं ने आतंकवाद-रोधी सैन्य अभ्यास ‘ऑस्ट्राहिंद’ में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की?
सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त अभ्यास ने आतंकवाद-रोधी रणनीतियों को मजबूत किया।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने आपसी समझ को बढ़ावा दिया।
- अभ्यास ने रक्षा साझेदारी को सुदृढ़ किया।
- सामरिक मिश्रण से ऑपरेशनल क्षमता में वृद्धि हुई।
- भविष्य के मानवीय सहायता मिशनों के लिए तैयारी की गई।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस) भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं ने एक महत्वपूर्ण संयुक्त अभ्यास का आयोजन किया है। इस अभ्यास में आतंकवाद-रोधी अभियान, संयुक्त योजना, और आधुनिक सैन्य रणनीतियों को शामिल किया गया। इसके अलावा, आपदा के समय त्वरित राहत पहुंचाने के अभियानों व विभिन्न संयुक्त प्रशिक्षण सत्रों को भी पूरा किया गया। इस दौरान दोनों देशों के जवानों ने साझा अनुभवों के आदान-प्रदान के माध्यम से एक-दूसरे की कार्यप्रणाली और सैन्य सिद्धांतों की गहरी समझ विकसित की।
भारतीय सेना ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में दोनों देशों के इस संयुक्त अभ्यास ‘ऑस्ट्राहिंद 2025’ का समापन समारोह भव्य रूप से आयोजित किया गया। यह अभ्यास 13 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ था। समापन के इस अवसर पर आस्ट्रेलियाई सेना के मेजर जनरल, कमांडर–द्वितीय ऑस्ट्रेलियन डिवीजन सहित दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य अतिथि एवं स्थानीय भारतीय समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे। समापन समारोह में दोनों सेनाओं के दलों ने अभ्यास की सफल पूर्णता का उत्सव मनाया, जो आपसी सामंजस्य, सहयोग और परिचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है।
इस अभ्यास ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा साझेदारी और रणनीतिक मित्रता को और सुदृढ़ किया है। ‘ऑस्ट्राहिंद 2025’ का यह संस्करण भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग की निरंतर बढ़ती गहराई और विश्वास को दर्शाता है। यह अभ्यास न सिर्फ दोनों सेनाओं के बीच संचालनिक तालमेल और आपसी विश्वास को मजबूत करता है, बल्कि क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और सुरक्षा के प्रति दोनों लोकतांत्रिक देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।
अभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिकों ने विभिन्न टैक्टिकल ड्रिल्स, फायरिंग, युद्धक रणनीतियों और अनुभवों के आदान-प्रदान में भाग लिया। इससे न सिर्फ जवानों की ऑपरेशनल क्षमता में वृद्धि हुई, बल्कि भविष्य के शांति अभियानों या मानवीय सहायता मिशनों में इंटरऑपरेबिलिटी यानी आपसी समन्वय की क्षमता भी मजबूत हुई है। सैन्य अभियानों के अलावा दोनों देशों के अधिकारियों एवं जवानों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी किया।
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय सेना द्वारा योग सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने भी हिस्सा लिया। दरअसल, यहां ट्रेनिंग अभ्यासों के अलावा, दोनों देशों के सैनिकों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और मित्रता को भी विशेष महत्व दिया गया है। भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने अपने-अपने देशों की सांस्कृतिक परंपराओं का प्रदर्शन किया, जिससे परस्पर समझ और सम्मान की भावना को बढ़ावा मिला है। यह सांस्कृतिक जुड़ाव दोनों सेनाओं के बीच दीर्घकालिक संबंधों को सुदृढ़ करने में सहायक रहा है।