क्या भारत एक नई विश्व आर्थिक व्यवस्था में सेंटर ऑफ ग्रेविटी के रूप में उभरने के लिए तैयार है?

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क्या भारत एक नई विश्व आर्थिक व्यवस्था में सेंटर ऑफ ग्रेविटी के रूप में उभरने के लिए तैयार है?

सारांश

आनंद महिंद्रा ने वैश्वीकरण के नए स्वरूप की चर्चा की, जिसमें भारत एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। अमेरिका का डी-ग्लोबलाइजेशन और नए व्यापार साझेदारियों के अवसर भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सकते हैं।

Key Takeaways

  • भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।
  • डी-ग्लोबलाइजेशन नए व्यापार अवसरों के लिए द्वार खोल सकता है।
  • शेयरधारकों के लिए मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
  • रिन्यूएबल एनर्जी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ रहा है।
  • भारत एक स्थिर लोकतंत्र है, जो वैश्विक स्तर पर भरोसेमंद भागीदार है।

मुंबई, 30 जून (राष्ट्र प्रेस) । उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने कहा कि अमेरिका का डी-ग्लोबलाइजेशन की दिशा में रुख वैश्वीकरण के एक नए स्वरूप की ओर संकेत दे सकता है, जो बहु-ध्रुवीय, क्षेत्रीय और घरेलू आवश्यकताओं से प्रेरित है। भारत इस नए 'सेंटर ऑफ ग्रेविटी' में से एक के रूप में उभरने के लिए बेहतर स्थिति में है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए आनंद महिंद्रा ने कहा कि वैश्वीकरण का विकास हो रहा है और अमेरिकी बाजार की केंद्रीयता एवं चीन-केंद्रित सप्लाई चेन को बहु-ध्रुवीय, क्षेत्रीय सहयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे संरचनात्मक और राजनीतिक अनिश्चितताएं अमेरिकी प्रभुत्व को कम करती हैं, वैसे-वैसे वैकल्पिक पूंजी गंतव्य उभर रहे हैं। ग्लोबल सप्लाई चेन चीन से दूर हो रही हैं, जिससे नई व्यापार साझेदारियां बन रही हैं।

महिंद्रा ने बताया कि क्षेत्रीय भागीदारों के बीच कम टैरिफ बाधाएं उभर सकती हैं, जिससे मुक्त व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और इंटरनेशनल ट्रेड का नया रूप बनेगा।

हाल ही में अमेरिका-चीन टैरिफ वार्ता और ब्रिटेन के साथ मजबूत व्यापार संबंध अमेरिकी व्यापार नीति में एक व्यावहारिकता का सुझाव देते हैं।

उन्होंने कहा, "चीन पर प्रतिबंध और अन्य प्रतिस्पर्धी देशों के लिए उच्च टैरिफ भारतीय वस्तुओं के लिए नए बाजार खोल सकते हैं। संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन इसे हासिल करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान और निजी निवेश में स्पष्ट वृद्धि की आवश्यकता होगी।"

महिंद्रा ने कहा, "तेजी आवश्यक है, क्योंकि फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश पहले से ही खुद को भविष्य के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में पेश कर रहे हैं।"

उन्होंने बताया कि रिन्यूएबल एनर्जी, रक्षा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर भारत में उभरते हुए उद्योग बन रहे हैं, इसलिए कंपनियां अपनी रणनीतियों को राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ जोड़कर लाभ उठा सकती हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत एक स्थिर लोकतंत्र है, जिसे आम तौर पर एक भरोसेमंद भागीदार माना जाता है और देश एक मजबूत सेना द्वारा समर्थित है, जो राजनीतिकरण से दूर है।

पाकिस्तान को लेकर महिंद्रा ने कहा, "हमारे उत्तेजक पड़ोसी के साथ स्थिति हमेशा अस्थिर होती है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि हम आर्थिक उत्थान के अपने मार्ग को बाधित किए बिना अपनी सहनशीलता की सीमाएं प्रदर्शित कर सकते हैं।"

-राष्ट्र प्रेस

एसकेटी/

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है। महिंद्रा के विचारों से यह साबित होता है कि देश की स्थिरता और रणनीतिक दृष्टिकोण इसे एक विश्वसनीय भागीदार बना सकते हैं।
NationPress
24/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत किस तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान कर सकता है?
भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं और तकनीकी नवाचार के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है।
डी-ग्लोबलाइजेशन का भारत पर क्या असर होगा?
डी-ग्लोबलाइजेशन भारत को नए व्यापार अवसरों और साझेदारियों का लाभ उठाने में मदद करेगा।
भारत की आर्थिक नीति में क्या बदलाव आ सकते हैं?
भारत की आर्थिक नीति में मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सुधार किए जा सकते हैं।