क्या भारत हमेशा से शांति का पैरोकार रहा है? : उदित राज

सारांश
Key Takeaways
- भारत हमेशा शांति का प्रवक्ता रहा है।
- गाजा में शांति स्थापित करने की आवश्यकता है।
- बिहार में उद्योगों की स्थापना जरूरी है।
- जेन-जी युवाओं की मांगों की अनदेखी हो रही है।
- लद्दाख की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता उदित राज ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गाजा में शांति स्थापित करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि यह भारत की नीति है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से शांति का प्रवक्ता रहा है। हमने कभी भी दुनिया के किसी कोने में युद्ध का समर्थन नहीं किया है। हम हमेशा शांति को प्राथमिकता देते आए हैं और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो गाजा में शांति स्थापित हो जाएगी। इसके अलावा, इस घटना के बाद पश्चिमी एशिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव भी देखने को मिलेंगे। सामान्यतः, हमास और हिजबुल्लाह के बीच टकराव के कारण वहां अफरातफरी का माहौल रहता है। वहीं, फिलिस्तीनियों के लिए इजरायल को लेकर कोई विशेष समस्या नहीं है। फिलिस्तीनी भी नहीं चाहते कि वहां हमास रहे, क्योंकि यही अशांति का कारण बन रहा है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के युवाओं के साथ संवाद करेंगे और 62 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे। इस पर उदित राज ने कहा कि केंद्र सरकार के लिए बेहतर होगा कि वो बिहार में उद्योग स्थापित करें, ताकि वहां के युवाओं को बेरोजगारी से नहीं जूझना पड़े। लेकिन, अफसोस है कि आजकल अधिकतर उद्योग और कारखाने गुजरात में स्थापित हो रहे हैं। अन्य राज्यों की कोई परवाह नहीं की जा रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पहले मुंबई को आर्थिक राजधानी माना जाता था, लेकिन अब सभी औद्योगिक इकाइयां और कारखाने गुजरात में स्थापित किए जा रहे हैं। गुजरात में ही बुलेट ट्रेन लाई गई है। बिहार के बारे में ये सरकार सोच ही नहीं रही है। ये लोग बिहार के लिए बेकार में योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं। मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि इन योजनाओं का बिहार में कोई मतलब नहीं रह जाता। सरकार के लिए अच्छा रहेगा कि वो बिहार में उद्योग स्थापित करें।
इसके अलावा, उन्होंने जेन-जी युवाओं को लेकर भी अपनी बात रखी और कहा कि हमें समझना होगा कि जेन-जी अपने आप नहीं बने हैं। मौजूदा परिस्थितियों ने उन्हें ऐसा बना दिया है। मौजूदा सरकार युवाओं के हितों के बारे में विचार नहीं कर रही है।
उन्होंने लेह में हुई हिंसा का भी जिक्र करते हुए सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वहां के लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हें अनुसूची में शामिल किया जाए, लेकिन उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा, वहां के युवा रोजगार के लिए भटकने के लिए मजबूर हैं। पहले बड़ी संख्या में युवा सेना में शामिल होते थे, लेकिन अग्निवीर योजना के आने से अब उनके पास सेना में जाने का विकल्प समाप्त हो गया है। वहां के लोग लंबे समय से पूर्ण राज्य का दर्जा मांग रहे हैं, लेकिन सरकार की संवेदनहीनता इस बात का सबूत है कि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यदि समय पर सरकार ने कोई उचित कदम नहीं उठाया, तो जेन-जी का आक्रोश न केवल लेह में बल्कि पूरे देश में फैल सकता है। इसका कारण यह है कि केंद्र सरकार अपने वादों से पीछे हट रही है। केंद्र सरकार ने वादा किया था कि हम दो करोड़ लोगों को रोजगार देंगे, लेकिन सरकार ने युवाओं के हितों पर कुठाराघात किया है। यदि यही स्थिति रही, तो पूरे देश में जेन-जी का आक्रोश अपने चरम पर पहुंच सकता है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि अनुच्छेद 370 के हटने से पहले लद्दाख की स्थिति अच्छी थी। युवाओं को उतनी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता था, जितना कि अब करना पड़ रहा है। लेकिन, यह दुखद है कि सरकार युवाओं के हितों की अनदेखी कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार को लगता है कि जेन-जी युवाओं का आक्रोश अपने चरम पर पहुंच सकता है या अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो सकती है, तो मुझे लगता है कि सरकार को जल्द से जल्द सावधानी बरतनी चाहिए।