क्या भारत का जीवन बीमा क्षेत्र वित्त वर्ष 23-35 के दौरान 14.5 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ेगा?

सारांश
Key Takeaways
- जीवन बीमा उद्योग की सीएजीआर 14.5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- जीएसटी छूट से अफोर्डेबिलिटी में सुधार।
- बीमा घनत्व और पहुंच वैश्विक मानकों से नीचे।
- नॉन-लिंक्ड विकल्पों की ओर ग्राहकों का रुझान।
- यूलिप की हिस्सेदारी में कमी की संभावना।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के जीवन बीमा उद्योग में वित्त वर्ष 23-35 के दौरान चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 14.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई है। यह जानकारी एक हालिया रिपोर्ट में साझा की गई है।
पीएल कैपिटल नामक वित्तीय सेवा संगठन ने बताया है कि भारतीय जीवन बीमा उद्योग पिछले दो दशकों (वित्त वर्ष 2005-25) में 11 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 1,203 अरब रुपए तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हाल ही में घोषित जीएसटी छूट बीमा क्षेत्र की अफोर्डेबिलिटी में सुधार करेगी, निरंतरता को बढ़ावा देगी और पैठ में वृद्धि करेगी, जिससे दीर्घकालिक विकास को मजबूती मिलेगी।
हालांकि, इससे अल्पकालिक लाभप्रदता में चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं, क्योंकि बीमा कंपनियों की इनपुट टैक्स क्रेडिट तक पहुंच समाप्त हो जाएगी।
हाल के दशकों में लगातार विस्तार के बावजूद, भारत में जीवन बीमा की पहुंच वैश्विक मानकों से काफी नीचे है।
वित्त वर्ष 24 में बीमा क्षेत्र की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.8 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जो विकसित बाजारों के औसत 5.6 प्रतिशत से काफी कम है। इसी प्रकार, भारत में बीमा घनत्व प्रति व्यक्ति केवल 70 डॉलर था, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में यह 3,182 डॉलर था।
यह अंतर उद्योग के लिए एक बहु-दशकीय अवसर को उजागर करता है, विशेषकर जब परिवार वित्तीय साधनों में अपनी बचत का अधिक हिस्सा आवंटित कर रहे हैं।
नॉमिनल जीडीपी के सालाना 10.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, और बढ़ती वित्तीय जागरूकता के साथ, जीवन बीमा भारत की घरेलू बैलेंस शीट का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनेगा।
संरचनात्मक कारक जैसे सामाजिक सुरक्षा जाल का अभाव, बढ़ता मध्यम वर्ग और बढ़ती जीवन प्रत्याशा सुरक्षा और वार्षिकी उत्पादों की मांग को बढ़ाएंगे।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऐतिहासिक रूप से, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) ने उत्पाद मिश्रण में अपना दबदबा बनाए रखा है, जिसे शेयर बाजार में तेजी और आकर्षक कर लाभों का लाभ मिला है।
हालांकि, यह अनुमान लगाया गया है कि ग्राहकों के नॉन-लिंक्ड विकल्पों की ओर रुझान बढ़ने के कारण यूलिप की हिस्सेदारी में कमी आएगी।
सूचीबद्ध बीमा कंपनियों में यूलिप की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है (वित्त वर्ष 25 में 35-65 प्रतिशत, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 16-55 प्रतिशत थी)।