क्या भारत का टीकाकरण कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर मिसाल है? जीरो-डोज बच्चों की संख्या में कमी: केंद्र

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क्या भारत का टीकाकरण कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर मिसाल है? जीरो-डोज बच्चों की संख्या में कमी: केंद्र

सारांश

भारत का टीकाकरण कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर एक मिसाल बन रहा है। जीरो-डोज बच्चों की संख्या में महत्वपूर्ण कमी आई है। जानिए इस सफलता के पीछे की कहानी और भारत की वैक्सीनेशन दर की प्रगति के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत का टीकाकरण कवरेज वैश्विक औसत से बेहतर है।
  • साल 2023 में डीटीपी टीके की पहली खुराक का कवरेज 93 प्रतिशत रहा।
  • जीरो-डोज बच्चों की संख्या में कमी आई है।
  • भारत ने पोलियो और मातृ-नवजात टेटनस को समाप्त किया है।
  • टीकाकरण कार्यक्रम एक वैश्विक मिसाल है।

नई दिल्ली, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में भारत को उन आठ देशों में शामिल किया गया है, जहां जीरो-डोज बच्चे (वे बच्चे जो नियमित टीके से वंचित हैं) की संख्या अधिक है।

केंद्र सरकार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि भारत की विशाल जनसंख्या और वैक्सीनेशन दर को ध्यान में रखना आवश्यक है। सरकार ने बताया कि भारत का टीकाकरण कवरेज वैश्विक औसत से बेहतर है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत ने टीकाकरण में उल्लेखनीय प्रगति की है। साल 2023 में डिप्थीरिया-टेटनस-पर्टुसिस (डीटीपी) टीके की पहली खुराक (पेंटा-1) का कवरेज 93 प्रतिशत रहा, जिसमें 2.65 करोड़ शिशुओं में से 2.47 करोड़ को टीका लगा। यह नाइजीरिया के 70 प्रतिशत की तुलना में काफी अधिक है।

डीटीपी-1 से डीटीपी-3 तक ड्रॉपआउट दर 2013 में 7 प्रतिशत से घटकर साल 2023 में 2 प्रतिशत हो गई। खसरे के टीके का कवरेज भी 2013 के 83 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 93 प्रतिशत हो गया।

साल 2023 के डब्ल्यूयूईएनआईसी रिपोर्ट के अनुसार, जीरो-डोज बच्चों की संख्या भारत की कुल जनसंख्या का 0.11 प्रतिशत थी, जो 2024 में घटकर 0.06 प्रतिशत हो गई। यह यमन (1.68 प्रतिशत), सूडान (1.45 प्रतिशत), अंगोला (1.1 प्रतिशत), अफगानिस्तान (1.1 प्रतिशत), नाइजीरिया (0.98 प्रतिशत), डीआर कांगो (0.82 प्रतिशत), इथियोपिया (0.72 प्रतिशत), इंडोनेशिया (0.23 प्रतिशत), और पाकिस्तान (0.16 प्रतिशत) से काफी कम है।

मंत्रालय ने कहा कि भारत की बड़ी जनसंख्या और टीकाकरण दर को नजरअंदाज कर तुलना करना गलत है।

लैंसेट अध्ययन के अनुसार, साल 2023 में विश्व के 1.57 करोड़ गैर-टीकाकृत बच्चों में से आधे से अधिक आठ देशों में थे, जिनमें भारत भी शामिल है। लेकिन भारत ने पोलियो (2014) और मातृ-नवजात टेटनस (2015) को समाप्त करने के साथ-साथ 2025 में खसरा-रूबेला अभियान शुरू कर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।

मंत्रालय ने बताया कि भारत का टीकाकरण कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर एक मिसाल है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की 2024 की रिपोर्ट में भी स्वीकार किया गया है।

Point of View

हमारा दृष्टिकोण है कि भारत का टीकाकरण कार्यक्रम न केवल एक स्वास्थ्य पहल है, बल्कि यह देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमें इसे समर्थन देना चाहिए।
NationPress
03/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत के टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता के पीछे क्या कारण हैं?
भारत ने अपनी विशाल जनसंख्या के बावजूद टीकाकरण में अनेक सुधार किए हैं, जैसे कि जागरूकता बढ़ाना और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।
जीरो-डोज बच्चों की संख्या में कमी कैसे आई?
सरकार ने टीकाकरण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया है, जिससे लोगों में जागरूकता बढ़ी है और टीकाकरण कवरेज में सुधार हुआ है।