क्या एनडीएए के तहत अमेरिका की परमाणु और हिंद-प्रशांत योजनाओं में भारत का प्रमुख स्थान है?

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क्या एनडीएए के तहत अमेरिका की परमाणु और हिंद-प्रशांत योजनाओं में भारत का प्रमुख स्थान है?

सारांश

अमेरिका के नए रक्षा प्राधिकरण बिल में भारत को एक विशेष स्थान दिया गया है। भारत अब अमेरिका के साथ अपनी परमाणु नीति और रक्षा व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभरा है। यह बिल चीन की चुनौती से निपटने के लिए नई रणनीतियों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Key Takeaways

  • भारत को एनडीएए में प्रमुख भागीदार का दर्जा मिला है।
  • संयुक्त परमाणु दायित्व नीति पर वार्ता जारी रहेगी।
  • रक्षा उद्योग और तकनीकी सहयोग में भारत का स्थान महत्वपूर्ण है।
  • चीन की चुनौती का मुकाबला करने के लिए नई रणनीतियाँ विकसित की जाएँगी।
  • भारत और अमेरिका के बीच सहयोग और मजबूत होगा।

वाशिंगटन, ८ दिसम्बर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के नए रक्षा प्राधिकरण बिल में भारत को इंडो-प्रशांत क्षेत्र और परमाणु नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी गई है। इस विधेयक में कहा गया है कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर उसकी परमाणु दायित्व नीति पर निरंतर चर्चा करेगा और भारत को उन विशेष देशों में शामिल करेगा जो चीन की चुनौती का सामना करने के लिए नई रक्षा व्यवस्था विकसित कर रहे हैं।

अमेरिकी कांग्रेस के नेताओं ने वित्त वर्ष २०२६ के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) का संयुक्त मसौदा जारी किया है। इस अधिनियम में भारत को अमेरिका की विभिन्न रणनीतियों में एक विशेष स्थान दिया गया है, जैसे कि नागरिक परमाणु सहयोग, रक्षा सह-उत्पादन, और समुद्री सुरक्षा। यह विधेयक पिछले छह दशकों से हर वर्ष पारित होता आ रहा है और इस सप्ताह के अंत में इसे हाउस से मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

इस बिल में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है कि अमेरिका और भारत मिलकर एक संयुक्त परामर्श तंत्र स्थापित करेंगे। यह तंत्र २००८ के नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन की नियमित समीक्षा करेगा। इसके साथ ही, भारत के घरेलू परमाणु दायित्व नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने पर भी चर्चा की जाएगी, और इन मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय राजनयिक जुड़ाव के लिए एक रणनीति विकसित करने का कार्य सौंपा गया है।

अमेरिका को अगले पांच वर्षों तक हर साल इस समीक्षा की रिपोर्ट कांग्रेस में प्रस्तुत करनी होगी।

बिल के अन्य भाग में भारत को वैश्विक नागरिक परमाणु सहयोग में “सहयोगी देश” के रूप में रखा गया है। इसके साथ, यह कानून प्रशासन को अमेरिकी परमाणु निर्यात का विस्तार करने के लिए १०-वर्षीय रणनीति स्थापित करने और रूस तथा चीन से होने वाली प्रतिस्पर्धा का विश्लेषण करने का अवसर देगा।

इंडो-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े प्रावधानों में भारत को प्राथमिक सहयोगियों की सूची में रखा गया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं। इन देशों के साथ मिलकर रक्षा उद्योग, आपूर्ति श्रृंखला, और नई तकनीक पर संयुक्त काम आगे बढ़ाया जाएगा।

अमेरिकी रक्षा मंत्री को यह अधिकार होगा कि वे समझौते करें, विशेषज्ञ सहायता प्रदान करें, और उद्योग एवं शैक्षणिक संस्थानों को जोड़कर संयुक्त उत्पादन और विकास को बढ़ावा दें।

संसद ने यह भी कहा है कि अमेरिका क्वाड्रीलेटरल सुरक्षा संवाद सहित भारत के साथ अपना जुड़ाव बढ़ाए, ताकि इंडो-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और खुला रखा जा सके। इसमें सैन्य अभ्यास, रक्षा व्यापार, मानवीय सहायता, और समुद्री सुरक्षा शामिल हैं। चीन को रोकने के लिए अमेरिका अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति और साझेदारी भी बढ़ाएगा।

विधेयक में भारतीय महासागर क्षेत्र के लिए एक विशेष राजदूत बनाने की अनुमति भी दी गई है, जिसका कार्य होगा कि वह इस क्षेत्र में अमेरिका की कूटनीति का समन्वय करे और चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति विकसित करे।

इन सभी कदमों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब अमेरिका की क्षेत्रीय रणनीति का केवल लाभार्थी नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण साझेदार भी है। हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका रक्षा संबंध काफी मजबूत हुए हैं।

Point of View

यह खबर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। भारत की भूमिका न केवल लाभार्थी के रूप में, बल्कि एक प्रमुख साझेदार के रूप में उभर रही है। यह न केवल सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी यह एक सकारात्मक कदम है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

एनडीएए क्या है?
एनडीएए, अर्थात राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम, अमेरिका का एक वार्षिक विधेयक है जो देश की रक्षा नीतियों और बजट को निर्धारित करता है।
भारत की भूमिका एनडीएए में क्या है?
इस अधिनियम में भारत को एक प्रमुख साझेदार के रूप में मान्यता दी गई है, जो अमेरिका के साथ मिलकर चीन की चुनौती का सामना करने के लिए नई रक्षा व्यवस्थाएं तैयार करेगा।
भारत और अमेरिका के बीच सहयोग कैसे बढ़ेगा?
भारत और अमेरिका मिलकर एक संयुक्त परामर्श तंत्र स्थापित करेंगे जिससे दोनों देशों की रक्षा नीतियों और परमाणु दायित्वों पर सहयोग बढ़ेगा।
क्या यह बिल पारित हो गया है?
यह विधेयक इस सप्ताह के अंत में हाउस से पारित होने की उम्मीद है।
भारत को इस बिल में क्या सम्मान प्राप्त हुआ है?
भारत को इस बिल में 'सहयोगी देश' के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे उसका वैश्विक नागरिक परमाणु सहयोग में विशेष स्थान है।
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