क्या भारत की सामान्य और सस्ती कंप्यूटिंग सुविधाएं तकनीक का लोकतंत्रीकरण सुनिश्चित कर रही हैं?: अश्विनी वैष्णव
सारांश
Key Takeaways
- भारत की सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा तकनीक का लोकतंत्रीकरण कर रही है।
- 38,000 जीपीयू की उपलब्धता सभी शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए।
- सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
- डेटा प्रोटेक्शन एक्ट उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा करता है।
- नवोन्मेष और नियमन का संतुलन आवश्यक है।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को बताया कि भारत की सामान्य और सस्ती कंप्यूटिंग सुविधाएं तकनीक का लोकतंत्रीकरण सुनिश्चित कर रही हैं।
उन्होंने सिंगापुर में ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम में जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने 38,000 जीपीयू की एक सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा स्थापित की है, जो सभी शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए 1 डॉलर से कम कीमत पर उपलब्ध है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हमारे पीएम मोदी कहते हैं कि हमें तकनीक को लोकतांत्रिक बनाना चाहिए। हमने इस दृष्टिकोण को अपनाया है और आज शोधकर्ताओं और नवोन्मेषकों को अनेक अवसर मिल रहे हैं।"
उन्होंने समझाते हुए कहा कि एआई मॉडल्स और लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स की तीन अलग-अलग श्रेणियाँ हैं। पहली श्रेणी में लार्ज मॉडल्स शामिल हैं, जिनमें चैटबॉट्स का उदाहरण है। दूसरी श्रेणी में फोक्स्ड मॉडल्स हैं, जो विशेष उद्योगों में विशिष्ट समाधान प्रदान करने के लिए उपयोग होते हैं।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, "यह स्थान आईटी उद्योग, एप्लीकेशन डेवलपर्स, और समाधान प्रदाताओं के लिए बहुत सारे अवसर प्रदान कर रहा है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो भारत के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसी प्रकार, तीसरी श्रेणी नवीनतम शोध की है।"
उन्होंने कार्यक्रम में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को उनके द्वारा प्रकाशित किए जा रहे सामग्री की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को इस बात की जिम्मेदारी लेनी शुरू करनी चाहिए कि वे क्या प्रकाशित कर रहे हैं ताकि जो कुछ भी वे प्रकाशित करते हैं उससे समाज को नुकसान न पहुंचे।"
उन्होंने बताया कि भारत इस संदर्भ में एक टेक्नो-लीगल दृष्टिकोण अपना रहा है। जिसका उदाहरण उन्होंने डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के रूप में दिया।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, "हमारे डेटा प्रोटेक्शन एक्ट में, हमने सिद्धांतों पर आधारित कानून बनाने का निर्णय लिया है।"
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि हम जानते हैं कि तकनीक तेजी से बदलती है। इसलिए ऐसा कोई सख्त कानून नहीं हो सकता जो नवोन्मेष को रोक सके।
उन्होंने कहा, "हम नवोन्मेष और नियमन के संयोजन पर विश्वास करते हैं, जहां हमारा झुकाव नवोन्मेष की ओर अधिक होता है ताकि समाज को लाभ पहुंच सके।"