क्या भारत दुनिया की 60 फीसदी वैक्सीन का निर्माण और 20 प्रतिशत से ज्यादा जेनेरिक दवाइयों का निर्यात करता है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत दुनिया की 60 फीसदी वैक्सीन का निर्माण करता है।
- 20 फीसदी से अधिक जेनेरिक दवाइयां सप्लाई करता है।
- 11,000 बायोटेक स्टार्टअप हैं।
- वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत 300 मिलियन वैक्सीन डोज प्रदान की।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 को लागू किया है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बायोलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन (बीडब्लूसी) 50 कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत दुनिया की 60 फीसदी वैक्सीन का निर्माण करता है और 20 फीसदी से अधिक जेनेरिक दवाइयां निर्यात करता है।
एस जयशंकर ने कहा, "मैं आज आपसे कुछ बातों पर विचार करने की अपील करता हूं, एक, भारत दुनिया की 60 फीसदी वैक्सीन का निर्माण करता है। दो, भारत 20 फीसदी से अधिक जेनेरिक दवाइयां सप्लाई करता है, और अफ्रीका की 60 फीसदी जेनेरिक दवाइयां भारत से आती हैं। तीन, भारत में लगभग 11,000 बायोटेक स्टार्टअप हैं, जो कि 2014 में केवल 50 थे। अब यह दुनिया भर में तीसरा सबसे बड़ा बायोटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम है। चार, डिजिटल हेल्थ में बड़ी प्रगति के साथ हमारा हेल्थकेयर इन्वेस्टमेंट तेजी से बढ़ा है। पांच, हमारा रिसर्च नेटवर्क: आईसीएमआर, डीबीटी लैब्स, एडवांस्ड बीएसएल-3 और बीएसएल-4 सुविधाएं, जो कई प्रकार के जैविक खतरों का पता लगा सकती हैं और उनका जवाब दे सकती हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत के मजबूत प्राइवेट सेक्टर ने इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने उत्पादन बढ़ाने, दबाव में नवाचार करने और वैश्विक संपर्क को प्रबंधित करने की क्षमता दिखाई है। कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम शुरू किया। वैक्सीन मैत्री का अर्थ है वैक्सीन की मित्रता, जिसे हमने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से आरंभ किया और 100 से अधिक कम विकसित और कमजोर देशों को लगभग 300 मिलियन वैक्सीन डोज और चिकित्सा सहायता प्रदान की। इनमें से कई मुफ्त थीं। इसका संदेश स्पष्ट था कि जब इतने बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ता है, तो एकता जीवन बचाती है। भारत हमेशा एक भरोसेमंद वैश्विक साझेदार रहेगा।
उन्होंने कहा कि भारत एक जिम्मेदार अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सदस्य होने के नाते, संवेदनशील और दोहरे उपयोग वाले सामान और तकनीक के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मामले में हमारा एक अच्छा रिकॉर्ड है। भारत ऐसे सामान और तकनीक के निर्यात को नियंत्रित करता है, जो परमाणु, जैविक, रासायनिक या अन्य विनाशकारी हथियारों के विकास में उपयोग हो सकते हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 को लागू करने के लिए एक मजबूत कानूनी और नियामक प्रणाली स्थापित की है। यह प्रस्ताव सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए सामग्री और तकनीक के निर्यात को नियंत्रित करने का है।
उन्होंने कहा कि अब, भारत न केवल बीडब्लूसी और सीडब्लूसी की बहुपक्षीय संधियों का एक हिस्सा है, बल्कि तीन बहुपक्षीय मुख्य एक्सपोर्ट कंट्रोल रिजीम, वासेनार अरेंजमेंट, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (एजी) का भी एक सक्रिय सदस्य है। ऑस्ट्रेलिया समूह इस सम्मेलन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोहरे उपयोग वाले रासायनिक पदार्थों, जैविक सामग्री और उससे संबंधित चीजों पर नियंत्रण से संबंधित है। इस साल ऑस्ट्रेलिया समूह की 40वीं वर्षगांठ है और हमें खुशी है कि एजी के सदस्य हमारे साथ हैं।