क्या भारत माओवादी आतंकवाद से जल्द मुक्त होगा? : प्रधानमंत्री मोदी

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का माओवादी आतंकवाद पर बड़ा बयान।
- भारत में माओवादी प्रभाव कम हो रहा है।
- 303 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उत्सव बिना डर के मनाए जाएंगे।
- भारत जल्द ही माओवादी आतंक से मुक्त होगा।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रभावशाली संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत में माओवादी आतंकवाद का संकट अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत गारंटी है कि देश जल्द ही इस खतरे से मुक्त हो जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने माओवादी हिंसा की कड़ी निंदा की, जिसने वर्षों तक विकास को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गरीब ग्रामीणों, किसानों और आदिवासी समुदायों को प्रभावित किया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माओवादी प्रभाव कम हो चुका है और प्रभावित क्षेत्रों में विकास की नई लहर आ रही है।
नई दिल्ली में आयोजित एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में दिए गए अपने भावुक भाषण में पीएम मोदी ने उन पीड़ितों की दुर्दशा को उजागर किया, जो हाल ही में दिल्ली आए और अपनी आवाज उठाने के लिए सात दिन तक संघर्ष करते रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि गरीब गांव वाले, किसान और आदिवासी, जिनमें से कुछ के अंग कट चुके थे, हाथ जोड़कर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे ताकि उनकी बात सही तरीके से लोगों तक पहुंचे। उन्होंने शहरी नक्सलियों की भी आलोचना की, जो कांग्रेस शासन के दौरान माओवादी अत्याचारों को छुपाते थे और संविधान का ढोंग करते थे।
पीएम मोदी ने बताया कि 50 वर्षों से अधिक समय तक माओवादी हिंसा के कारण भारत के कई क्षेत्रों में स्कूल, अस्पताल और बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाईं। माओवादी आतंक हमारे युवाओं के खिलाफ एक बड़ा अन्याय है। उन्होंने उन अनगिनत माताओं का दर्द साझा किया जिन्होंने नक्सल हिंसा में अपने बेटों को खोया।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रगति पर खुशी व्यक्त की और बताया कि पहले 125 जिले माओवादी हिंसा का शिकार थे, लेकिन अब केवल 11 जिले बचे हैं, जिनमें से केवल तीन अत्यधिक संवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 72 घंटों में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। 303 नक्सलियों, जिनमें 1 करोड़ रुपएसंवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण को दिया।
उन्होंने बताया कि यह आत्मसमर्पण दिखाता है कि पूर्व नक्सली अब हिंसा छोड़कर भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर भरोसा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर जैसे क्षेत्रों में बदलाव की बात की, जो कभी नक्सलियों का गढ़ था। अब वहां आदिवासी बस्तर ओलंपिक का आयोजन कर रहे हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस दीपावली, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उत्सव बिना डर के मनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत नक्सली आतंक से पूरी तरह मुक्त होगा। उन्होंने इसे अपनी व्यक्तिगत गारंटी बताया।