क्या सरकार ई-कॉमर्स में एफडीआई नियमों को आसान बनाने पर विचार कर रही है?

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क्या सरकार ई-कॉमर्स में एफडीआई नियमों को आसान बनाने पर विचार कर रही है?

सारांश

भारत सरकार की नई पहल के तहत ई-कॉमर्स में एफडीआई नियमों में सुधार की योजना है। यह कदम निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा रहा है, जिसमें वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की पहुँच को मजबूत किया जा सकेगा। जानिए इस कदम के पीछे का उद्देश्य और संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • सरकार ने ई-कॉमर्स में एफडीआई नियमों को आसान बनाने का प्रस्ताव रखा है।
  • ई-कॉमर्स निर्यात को 2030 तक 200-300 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।
  • भारत की एफडीआई नीति में मार्केटप्लेस मॉडल के लिए 100% विदेशी निवेश की अनुमति है।
  • सरकार ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित करने की योजना भी बना रही है।
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों ने व्यापार को सरल बनाया है।

नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने की सरकार की रणनीति के तहत ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से राय मांगी है।

वरिष्ठ अधिकारियों ने ई-कॉमर्स संस्थाओं के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए चीन का उदाहरण दिया है।

भारत की एफडीआई नीति ई-कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल में ऑटोमेटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देती है, जहां अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करती हैं, लेकिन इन्वेंट्री की मालिक नहीं होती हैं।

हालांकि, इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई प्रतिबंधित है, जहां ई-कॉमर्स संस्था सीधे उपभोक्ताओं को अपनी इन्वेंट्री बेचती है। कुछ विशिष्ट अपवाद निर्माताओं को अपने उत्पाद बेचने और एकल-ब्रांड खुदरा विक्रेताओं को ई-कॉमर्स के माध्यम से काम करने की अनुमति देते हैं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी संकेत दिया है कि सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल निर्यात के लिए इन्वेंट्री रखने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

भारत का ई-कॉमर्स निर्यात बढ़ रहा है और वर्तमान में लगभग 4-5 बिलियन डॉलर है, और सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक 200-300 बिलियन डॉलर ले जाने का है। लोकप्रिय निर्यात उत्पादों में कपड़े, होम डेकोर, हैंडीक्राफ्ट, ऑर्गेनिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स, खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं।

विदेश व्यापार नीति 2023 में डिजिटल अर्थव्यवस्था में सीमा पार व्यापार के रोडमैप को रेखांकित करने के लिए ई-कॉमर्स पर एक समर्पित अध्याय शामिल है, जो ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने की सरकार की पहल को दर्शाता है।

सरकार विदेश व्यापार नीति के तहत निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित करने की भी योजना बना रही है। इसके अलावा, डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों ने ऑनलाइन भुगतान को आसान बनाकर और ग्राहक वेरीफिकेशन को सरल बनाकर मदद की है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि भारत सरकार की यह पहल ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यदि सही तरीके से कार्यान्वित किया गया, तो यह न केवल निर्यात को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय उद्योग को भी सशक्त करेगा।
NationPress
02/11/2025

Frequently Asked Questions

ई-कॉमर्स में एफडीआई नियमों को आसान बनाने से क्या फायदा होगा?
इससे भारतीय उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा और विदेशी बाजार में उनकी पहुँच आसान होगी।
सरकार का लक्ष्य 2030 तक निर्यात को कितना बढ़ाना है?
सरकार का लक्ष्य 2030 तक ई-कॉमर्स निर्यात को 200-300 बिलियन डॉलर तक पहुँचाना है।
इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई पर रोक क्यों है?
इसका उद्देश्य स्थानीय खुदरा विक्रेताओं की रक्षा करना है, ताकि वे प्रतिस्पर्धा कर सकें।