क्या भारत में पहली बार 'वन्य प्राणी दिवस' मनाने का संकल्प लिया गया?

सारांश
Key Takeaways
- वन्य प्राणी दिवस का महत्व हमारे पर्यावरण के लिए है।
- भारत में वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं।
- हमें संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए।
- प्रदूषण से वन्यजीवों को हानि पहुँचती है।
- हम पौधारोपण के द्वारा भी संरक्षण में योगदान कर सकते हैं।
नई दिल्ली, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत एक जैव विविधता से परिपूर्ण देश है, जहाँ विभिन्न प्रकार के वन्यजीव निवास करते हैं। हर वर्ष भारत में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्देश्य वन्यजीवों और उनके आवासों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस सप्ताह के दौरान, देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
हालांकि, 7 जुलाई, 1955 को भारत में पहली बार वन्य प्राणी दिवस मनाया गया था। इसे हर साल 2 अक्टूबर से एक सप्ताह तक मनाने की परंपरा शुरू हुई, जिससे लोगों को वन्यजीवों और पर्यावरण के महत्व के प्रति जागरूक किया जा सके। यह दिवस मानव और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को दर्शाता है।
1952 में भारतीय वन्यजीव बोर्ड की स्थापना की गई थी, जिससे लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए दीर्घकालिक लक्ष्यों को बढ़ावा दिया जा सके। वन्य प्राणी दिवस इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जो लोगों को यह बताने के लिए था कि वन्यजीव और पर्यावरण मानव जीवन के लिए कितने आवश्यक हैं।
1956 से राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है, जिससे वाइल्डलाइफ जागरूकता और संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिले। इसके साथ ही, सरकार ने वन्यजीव अपराधों को रोकने के लिए वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जैसी संस्थाओं की स्थापना की है।
इस सप्ताह के दौरान, केंद्र और राज्य सरकारें, पर्यावरणविद्, कार्यकर्ता और शिक्षक विभिन्न गतिविधियाँ जैसे सम्मेलन, जागरूकता कार्यक्रम और सार्वजनिक बैठकें आयोजित करते हैं। स्कूलों में बच्चों के लिए निबंध लेखन, चित्रकला, संभाषण और वन्यजीवों पर आधारित फिल्म स्क्रीनिंग जैसी गतिविधियाँ भी होती हैं। ये प्रयास लोगों में प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भाव जगाते हैं।
यदि आप भी वन्यजीव संरक्षण में योगदान देना चाहते हैं, तो सोशल मीडिया पर लोगों को वन्यजीवों के महत्व और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करें। स्वयंसेवी गतिविधियों में भाग लें और संसाधनों का संवेदनशीलता से उपयोग करें। पौधे लगाएं और स्थानीय प्रजातियों का समर्थन करें, क्योंकि ये वन्यजीवों के लिए आवास और भोजन प्रदान करते हैं। एकल-उपयोग प्लास्टिक से बचें और कचरे का उचित निपटान करें, क्योंकि प्रदूषण वन्यजीवों के लिए हानिकारक है।