क्या भारत 2030 तक एचआईवी के खिलाफ अपनी लड़ाई में सफल होगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत ने एचआईवी संक्रमणों में 48.7% की कमी हासिल की है।
- 2030 तक 95-95-95 वैश्विक लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
- सस्ती और प्रभावी दवाएं पूरी दुनिया में उपलब्ध कराई जा रही हैं।
- हर जिले में एआरटी सेंटर खुल चुके हैं।
- एचआईवी के प्रति जागरूकता 85% तक पहुंच गई है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने सोमवार को विज्ञान भवन में राष्ट्रीय समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि भारत एचआईवी को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और 2030 तक सभी वैश्विक लक्ष्य प्राप्त कर लेगा।
नड्डा ने जानकारी दी कि पिछले 14 वर्षों में भारत में नए एचआईवी संक्रमणों में 48.7 फीसदी, एड्स से होने वाली मौतों में 81.4 फीसदी और मां से बच्चे में संक्रमण में 74.6 फीसदी की कमी आई है। 2020-21 में टेस्टिंग का दायरा 4.13 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 6.62 करोड़ तक पहुंच गया है। इलाज ले रहे मरीजों की संख्या 14.94 लाख से बढ़कर 18.60 लाख हो गई है। वायरल लोड टेस्टिंग भी 8.90 लाख से बढ़कर 15.98 लाख तक पहुंची है। ये आंकड़े दुनिया के औसत से कहीं बेहतर हैं। नए संक्रमणों में भारत ने 35 फीसदी कमी की है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 32 फीसदी है। एड्स से मौतों में कमी भारत में 69 फीसदी है, जो वैश्विक 37 फीसदी से लगभग दोगुनी है।
मंत्री ने कहा कि भारत में अब 88 फीसदी मरीजों को इलाज मिल रहा है और 97 फीसदी मरीजों में वायरस पूरी तरह दबा हुआ है। एचआईवी के बारे में जागरूकता 85 फीसदी तक पहुंच गई है। उन्होंने भारतीय दवा कंपनियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सस्ती और अच्छी दवाएं पूरी दुनिया को मुहैया कराकर भारत मानवता की सेवा कर रहा है।
नड्डा ने बताया कि अब हर जिले के हर सब-डिवीजन में एआरटी सेंटर खुल चुके हैं, जिससे इलाज आसान हुआ है। हालांकि, टीबी के साथ एचआईवी का को-इन्फेक्शन और दवाएं नियमित न लेने की समस्या अभी भी बनी हुई है, इसके लिए ज्यादा काउंसलिंग और कम्युनिटी सपोर्ट की जरूरत है। 2017 में बना एचआईवी/एड्स एक्ट भेदभाव रोकने और मरीजों के अधिकारों की रक्षा कर रहा है।
समारोह में केंद्रीय मंत्री ने तीन थीम वाली नेशनल मल्टीमीडिया कैंपेन शुरू की – युवाओं में जागरूकता, मां-बच्चे में संक्रमण समाप्त करना और स्टिग्मा-भेदभाव मिटाना। साथ ही संकल्पक का सातवां संस्करण, इंडिया एचआईवी एस्टिमेट्स 2025, रिसर्च कम्पेंडियम और युवाओं के लिए नया डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘ब्रेकफ्री’ लॉन्च किया गया, जहां गोपनीय तरीके से जोखिम जांच, टेस्टिंग और इलाज की जानकारी मिलेगी।
प्रदर्शनी में नागालैंड का सिटी बार्न यूथ स्पेस और मुंबई का फास्ट-ट्रैक सिटी मॉडल जैसे नए प्रयोग प्रदर्शित किए गए। मंत्री ने एनएसीओ के तीन वरिष्ठ विशेषज्ञों और दो एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों को सम्मानित किया, जिन्होंने अपनी जिंदगी की कहानी सुनाकर सबको प्रेरित किया।
स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि एचआईवी के खिलाफ भारत का अभियान अब देश के सबसे बड़े और सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। यह साबित करता है कि मजबूत इच्छाशक्ति और सामुदायिक भागीदारी से बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
भारत 2030 तक 95-95-95 वैश्विक लक्ष्य (95 प्रतिशत लोग अपनी स्थिति जानें, 95 प्रतिशत को इलाज मिले और 95 प्रतिशत में वायरस दब जाए) हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।