क्या भारत अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात बाजार में विविधता ला रहा है?

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क्या भारत अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात बाजार में विविधता ला रहा है?

सारांश

भारत ने निर्यात बाजार में विविधता लाकर 20 से अधिक देशों को होने वाले निर्यात में वृद्धि की है। यह कदम अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। जानिए इस विकास का अर्थ और संभावित प्रभाव क्या हो सकता है।

Key Takeaways

  • भारत ने निर्यात में विविधता लाकर अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाया है।
  • टैरिफ में वृद्धि के बावजूद, भारत का निर्यात प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है।
  • यूके और यूरोप के साथ मुक्त व्यापार समझौते निर्यात को बढ़ावा देंगे।
  • बातचीत में सौहार्दपूर्ण माहौल पर जोर दिया गया है।
  • किसानों और एमएसएमई हितों की रक्षा प्राथमिकता है।

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस) भारत ने अपने निर्यात बाजार में विविधता लाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जिसके परिणामस्वरूप यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 20 से अधिक देशों को होने वाले निर्यात में वार्षिक आधार पर वृद्धि देखी गई है। इसके माध्यम से, देश को अमेरिकी टैरिफ के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में भी सहायता मिली है।

इस वित्तीय वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत के व्यापारिक निर्यात में 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

हाल ही में अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि होने के बावजूद, भारत का निर्यात प्रदर्शन बना हुआ है। सितंबर में व्यापारिक निर्यात में वार्षिक आधार पर 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसका मुख्य कारण उच्च मूल्य वाली वस्तुओं जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों के निर्यात में मजबूत वृद्धि है।

जिन 24 देशों में भारतीय निर्यात में वृद्धि हुई है, उनमें जर्मनी, बेल्जियम, इटली, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, इराक, मिस्र, रूस, कनाडा, मेक्सिको, ब्राजील, केन्या, नाइजीरिया, तंजानिया, थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका शामिल हैं।

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2025-26 में इन देशों को निर्यात में सकारात्मक वृद्धि देखी गई है और व्यापार 129.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो भारत के कुल निर्यात का 59 प्रतिशत है।

यूके और यूरोप के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) से देश के निर्यात बाजार में इस विविधीकरण को और मजबूती मिलने की आशा है।

वहीं, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ में वृद्धि के चलते, सितंबर में अमेरिका को भारत का व्यापारिक निर्यात 11.93 प्रतिशत घटकर 5.46 अरब डॉलर रह गया।

भारत और अमेरिका मौजूदा गतिरोध से बाहर निकलने के लिए एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए भी बातचीत कर रहे हैं। दोनों देशों ने टैरिफ के मुद्दे को सुलझाने के लिए अपनी व्यापार वार्ता में कुछ प्रगति की है, जबकि नई दिल्ली ने कहा है कि वह जल्दबाजी में कोई समझौता नहीं करेगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारत के व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ ट्रेड डील के लिए बैठकें कीं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि अमेरिका के साथ बातचीत "बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल" में आगे बढ़ रही है, लेकिन ये बातचीत समय सीमा पर आधारित नहीं हैं।

मंत्री ने कहा, "जब तक हम भारत के किसानों, मछुआरों और देश के एमएसएमई क्षेत्र के हितों को पूरी तरह से संबोधित नहीं करते, तब तक कोई समझौता नहीं होगा।"

Point of View

जो वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। यह न केवल अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करता है, बल्कि अन्य देशों के साथ संबंधों को भी मजबूत करता है।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत ने निर्यात में विविधता लाने का निर्णय क्यों लिया?
भारत ने अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात बाजार में विविधता लाने का निर्णय लिया।
कौन से देश भारत के मुख्य निर्यात साझेदार हैं?
भारत के मुख्य निर्यात साझेदारों में जर्मनी, बेल्जियम, इटली, और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।
क्या भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है?
हाँ, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।
भारत का व्यापारिक निर्यात किस तरह प्रभावित हुआ है?
भारत का व्यापारिक निर्यात सितंबर में 6.7 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि अमेरिका को निर्यात में गिरावट आई है।
भारत के निर्यात में वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
भारत के निर्यात में वृद्धि का मुख्य कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों का उच्च मूल्य वाला निर्यात है।