क्या 'रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म' पर काम जारी है? भारत-रूस बिजनेस फोरम में बोले प्रधानमंत्री मोदी
सारांश
Key Takeaways
- भारत-रूस के बीच फ्री ट्रेड पर चर्चा की गई।
- 2030 तक व्यापार का लक्ष्य 100 अरब डॉलर रखा गया।
- डिफेंस और स्पेस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों को अवसर दिए गए हैं।
- ईवी और ऑटोमोबाइल सेक्टर में सहयोग की संभावना।
- किसानों के लिए नई दवाओं की सप्लाई पर जोर दिया गया।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को भारत-रूस बिजनेस फोरम में भाग लिया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने बताया कि भारत-रूस के बीच फ्री ट्रेड पर चर्चा की गई है। इसके साथ ही, राष्ट्रपति पुतिन और मैंने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन का इतने बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ इस कार्यक्रम में शामिल होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मैं सभी का हृदय से स्वागत करता हूं। इस फोरम में विचार साझा करना मेरे लिए खुशी की बात है। मैं अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन का दिल से आभार व्यक्त करता हूं। भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर चर्चा आरंभ की गई है। व्यापार या कूटनीति, किसी भी साझेदारी की नींव आपसी विश्वास है, जो भारत-रूस संबंधों की सबसे बड़ी ताकत है।
पीएम मोदी ने कहा, "राष्ट्रपति पुतिन और मैंने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन हमारे बीच बातचीत और संभावनाओं को देखते हुए, मुझे नहीं लगता कि हमें 2030 तक का इंतजार करना पड़ेगा। हम उस लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले पूरा करने के इरादे से आगे बढ़ रहे हैं, और यह मेरा आत्मविश्वास बढ़ा रहा है। टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाएं कम की जा रही हैं।"
उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में भारत में जो तेजी और पैमाने पर परिवर्तन हुए हैं, वे अभूतपूर्व हैं। रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के सिद्धांत के अनुसार भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। इस सुधार यात्रा में हमने न तो थकावट महसूस की है और न ही रुके हैं। हमारे संकल्प पहले से भी अधिक मजबूत हैं और हम अपने लक्ष्य की दिशा में आत्मविश्वास के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि डिफेंस और स्पेस सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोला गया है, जिससे इन क्षेत्रों में नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। अब हम सिविल न्यूक्लियर सेक्टर में भी संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहे हैं। यह केवल प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि वैचारिक सुधार भी हैं। इन सुधारों का एक ही संकल्प है - विकसित भारत।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए कुछ विचार प्रस्तुत करना चाहूंगा। सबसे पहले, लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुतिन और मैंने अपनी कनेक्टिविटी की पूरी क्षमता का उपयोग करने पर जोर दिया है। आईएनएसटीसी या नॉर्दर्न सी रूट, यानी चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर पर आगे बढ़ने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इससे ट्रांजिट टाइम कम होगा, लागत में कमी आएगी और व्यापार के लिए नए बाजार खुलेंगे। डिजिटल टेक्नोलॉजी की ताकत के साथ हम वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर के जरिए कस्टम, लॉजिस्टिक्स और रेगुलेटरी सिस्टम को जोड़ सकते हैं। इससे कस्टम क्लियरेंस तेज होगा, पेपरवर्क कम होगा और कार्गो मूवमेंट ज्यादा आसान होगा। दूसरा - मरीन प्रोडक्ट्स, हाल ही में रूस ने डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए भारतीय कंपनियों की सूची में विस्तार किया है, जिससे भारत के एक्सपोर्टर्स के लिए नए अवसर बने हैं।"
पीएम मोदी ने कहा, "तीसरा - ऑटोमोबाइल सेक्टर, भारत आज सस्ते, कुशल ईवी, टू-व्हीलर्स और सीएनजी मोबिलिटी सॉल्यूशंस में वैश्विक नेता है। रूस उन्नत सामग्रियों का एक बड़ा उत्पादक है। हम मिलकर ईवी मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स और मोबिलिटी टेक में साझेदारी कर सकते हैं। इससे हम न केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे, बल्कि ग्लोबल साउथ, विशेषकर अफ्रीका के विकास में भी योगदान दे सकेंगे। चौथा - किसान, भारत आज किफायती दरों पर उच्चतम गुणवत्ता की दवाएं सप्लाई कर रहा है, इसलिए आज भारत को 'फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड' भी कहा जाता है।