क्या भारत-रूस के संबंध विश्वसनीयता और साझा मूल्यों की मजबूती पर आधारित हैं?

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क्या भारत-रूस के संबंध विश्वसनीयता और साझा मूल्यों की मजबूती पर आधारित हैं?

सारांश

भारत और रूस के बीच के संबंधों को लेकर रक्षा मंत्रियों की बैठक में विश्वसनीयता, साझा मूल्यों और पारस्परिक सम्मान की बात की गई। यह बैठक आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण अवसरों को उजागर करती है।

Key Takeaways

  • भारत-रूस के संबंध विश्वसनीयता और सम्मान पर आधारित हैं।
  • आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित किया।
  • दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • रूसी रक्षा उद्योग भारत को सहयोग देने के लिए तैयार है।

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और रूस ने फिर से इस बात को स्वीकार किया है कि दोनों देशों के बीच के संबंध विश्वसनीयता, साझा मूल्यों और पारस्परिक सम्मान की मजबूत नींव पर आधारित हैं। यह बात गुरुवार को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की एक महत्वपूर्ण बैठक में कहि गई।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव ने गुरुवार को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में मुलाकात की। दोनों ने 22वें भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग- सैन्य एवं सैन्य तकनीकी सहयोग की बैठक की संयुक्त अध्यक्षता की।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाले 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले आयोजित की गई है। बैठक में राजनाथ सिंह ने भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन को रेखांकित किया और देश की स्वदेशी रक्षा उद्योग क्षमता को बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए रक्षा उत्पादन और रक्षा निर्यात को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने के नए अवसरों पर जोर दिया। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि रूसी रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव ने भारत-रूस संबंधों को और गहरा करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कई दशकों से चली आ रही मित्रता और रणनीतिक साझेदारी आपसी भरोसे का प्रतीक है।

उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि रूसी रक्षा उद्योग भारत को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में पूरा सहयोग देने के लिए तैयार है। इसके साथ ही, उन्होंने राजनाथ सिंह को वर्ष 2026 में रूस में आयोजित होने वाले भारत–रूस अंतर सरकारी आयोग – सैन्य एवं सैन्य तकनीकी सहयोग के 23वें सत्र की सह-अध्यक्षता के लिए आमंत्रित भी किया।

ज्ञात रहे कि भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का यह सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय ढांचा है। इसकी अध्यक्षता भारत के रक्षा मंत्री और रूस के रक्षा मंत्री संयुक्त रूप से करते हैं। इस आयोग की बैठक हर वर्ष दोनों देशों में बारी-बारी से आयोजित होती है। बैठक के समापन पर, दोनों मंत्रियों ने 22वें भारत–रूस अंतर सरकारी आयोग–सैन्य एवं सैन्य तकनीकी सहयोग सत्र के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। इसमें वर्तमान और भविष्य के सहयोग क्षेत्रों को रेखांकित किया गया है।

बैठक से पहले, राजनाथ सिंह और रूसी रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, नई दिल्ली में शहीद वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। रूसी मंत्री ने तीनों सेनाओं की औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर की भी समीक्षा की। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह बैठक भारत-रूस रक्षा सहयोग को और मजबूत करते हुए भविष्य के सामरिक, तकनीकी एवं औद्योगिक साझेदारी के मार्ग को सुदृढ़ करती है।

भारत और रूस के बीच मजबूत रक्षा संबंध हैं। पनडुब्बी, लड़ाकू नौसैनिक जहाज से लेकर फाइटर जेट जैसे क्षेत्रों में दोनों देश सहयोग करते हैं। हाल ही में, दोनों देशों की सेनाओं ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास भी अंजाम दिया है। इसके अलावा, दोनों देशों की कंपनियों के बीच नागरिक विमान को लेकर भी महत्वपूर्ण समझौता हो चुका है।

Point of View

NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का महत्व क्या है?
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय ढांचा है जो दोनों देशों की सुरक्षा और सामरिक हितों को मजबूत करता है।
क्या भारत-रूस संबंध भविष्य में और मजबूत होंगे?
हां, दोनों देशों के बीच की मित्रता और रणनीतिक साझेदारी भविष्य में और मजबूत होने की संभावना है।
भारत की आत्मनिर्भरता का रक्षा क्षेत्र में क्या योगदान है?
भारत की आत्मनिर्भरता का रक्षा क्षेत्र में योगदान देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और विदेशी निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
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