क्या भारत और रूस ने मध्य-पूर्व और पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और रूस की विशेष रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि हुई।
- अफगानिस्तान में मानवीय सहायता का महत्व बताया गया।
- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता को स्वीकारा गया।
- मध्य-पूर्व और पश्चिम एशिया में शांति के लिए प्रतिबद्धता दोहराई गई।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत पहुंचे। यहां दोनों देशों के बीच 23वीं वार्षिक बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी को और अधिक मजबूत करना था।
इस अवसर पर दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में भारत और रूस के बीच घनिष्ठ समन्वय की सराहना की, जिसमें दोनों देशों की सुरक्षा परिषदों के बीच संवाद तंत्र भी शामिल है। उन्होंने मॉस्को फॉर्मट बैठकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
दोनों नेताओं ने आईएसआईएस, आईएसकेपी और उनके सहयोगियों सहित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी उपायों का स्वागत किया और यह विश्वास व्यक्त किया कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई व्यापक और प्रभावी होगी। उन्होंने अफगान लोगों को तात्कालिक और निर्बाध मानवीय सहायता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
दोनों पक्षों ने मध्य-पूर्व और पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए संयम बरतने, नागरिकों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन की अपील की। उन्होंने ऐसी कार्रवाइयों से बचने की आवश्यकता जताई जो स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल सकती हैं। इसके साथ ही उन्होंने बातचीत के माध्यम से ईरान के परमाणु मुद्दे को सुलझाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने गाजा में मानवीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की और संघर्ष की समाप्ति, मानवीय सहायता और स्थायी शांति के लिए सभी संबंधित पक्षों के बीच समझौतों और सहमति की आवश्यकता पर जोर दिया।
दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन में कमी से संबंधित मुद्दों पर समझौता ज्ञापन के ढांचे के भीतर 10 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त रूस-भारत कार्य समूह की पहली बैठक का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के कार्यान्वयन प्रणालियों, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने वाली प्रौद्योगिकियों के विकास और सतत वित्तीय साधनों के उपयोग पर द्विपक्षीय वार्ता की गति को तेज करने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर जी20, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर ब्रिक्स संपर्क समूह के समन्वित कार्य द्वारा प्राप्त परिणामों का स्वागत किया, जिसमें ब्रिक्स जलवायु अनुसंधान मंच और व्यापार, जलवायु एवं सतत विकास के लिए ब्रिक्स प्रयोगशाला का शुभारंभ भी शामिल है। दोनों पक्षों ने 2026 में समूह में भारत की अध्यक्षता के दौरान ब्रिक्स में जलवायु परिवर्तन से निपटने के क्षेत्र में लाभकारी सहयोग को प्रोत्साहित किया।
दोनों पक्षों ने भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की लचीलेपन और अपनी विदेश नीति संबंधी प्राथमिकताओं के संयोजन और पूरक दृष्टिकोणों पर संतोष व्यक्त किया और इसे और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रमुख शक्तियों के रूप में भारत और रूस बहुध्रुवीय विश्व और बहुध्रुवीय एशिया में वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए प्रयासरत रहेंगे।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई दिल्ली में उन्हें और उनके प्रतिनिधिमंडल को दिए गए भव्य आतिथ्य के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया और उन्हें 2026 में 24वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूस आने का निमंत्रण दिया।