क्या सैन्य विरासत से प्रेरित है नौसैनिक युद्धपोत ‘माहे’ का प्रतीक चिह्न?
सारांश
Key Takeaways
- ‘माहे’ भारतीय नौसेना का नया युद्धपोत है।
- यह स्वदेशी रूप से निर्मित है।
- इसका प्रतीक चिह्न सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है।
- यह तटीय सुरक्षा के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
- ‘माहे’ पनडुब्बी रोधी अभियानों में सक्षम है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना ने सोमवार को अपने जहाज ‘माहे’ के प्रतीक चिह्न का अनावरण किया है। यह युद्धपोत स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह माहे श्रेणी का एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट है। इसका जल्द ही जलावतरण होगा, जिसके साथ ही यह नौसेना में शामिल हो जाएगा।
‘माहे’ न केवल नौसैन्य जहाज-निर्माण में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करता है, बल्कि युद्धपोत की ऐतिहासिक विरासत, आधुनिक डिजाइन और उसकी परिचालन भूमिका को एक प्रतीकात्मक पहचान के रूप में भी जोड़ता है। यह एंट्री सबमरीन ऑपरेशंस में काम आने वाला एक आधुनिक युद्धपोत है। इस पोत का नाम भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित तटीय शहर 'माहे' के नाम पर रखा गया है। यह जहाज भारत की स्थायी समुद्री परंपराओं और तटीय भावना को दर्शाता है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जहाज का प्रतीक चिह्न, यानी शिखर, इस क्षेत्र की सांस्कृतिक एवं सैन्य विरासत से प्रेरित है। प्रतीक चिह्न में ‘उरुमी’ तलवार का चित्रण किया गया है। कलारीपयट्टू से जुड़ी यह तलवार केरल की प्राचीन सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जो समुद्र की लहरों से उभरती हुई दर्शाई गई है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, उरुमी वाला यह प्रतीक चिह्न चपलता, सटीकता एवं नियंत्रित शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह जहाज की त्वरित संचालन क्षमता व तटीय क्षेत्रों में प्रभावी कार्रवाई करने की योग्यता का भी रूपक है। प्रतीक चिह्न में दर्शाई गई लहरें भारत के विस्तृत समुद्री क्षेत्र और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय नौसेना की तत्परता को दर्शाती हैं। जहाज का आदर्श वाक्य है, 'साइलेंट हंटर्स', यह इसकी गोपनीयता, सतर्कता और अटूट संकल्प का प्रतीक है।
भारतीय नौसेना के मुताबिक, ‘माहे’ को तटीय इलाकों में उच्च जोखिम वाले मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी क्षमताएं इसे एक शक्तिशाली व उथले जल का योद्धा बनाती हैं। यह पनडुब्बी रोधी अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है। ‘माहे’ को 24 नवंबर को नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह भारतीय स्वदेशी क्षमता का प्रतीक है। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड द्वारा किया गया है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित ‘माहे’ भारत के आत्मनिर्भर भारत विजन का सशक्त उदाहरण है। इस श्रेणी के कुल 8 एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट जहाजों में माहे पहला है। इन शैलो वॉटर क्राफ्ट को विशेष रूप से उथले समुद्री क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए तैयार किया जा रहा है।
नौसेना का कहना है कि इसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। इसमें उन्नत सेंसर, हथियार और आधुनिक इंटीग्रेशन सिस्टम हैं। यह तटीय क्षेत्रों में तेजी से तैनाती और उच्च गतिशीलता प्रदान करने में सक्षम है। नौसेना के ‘माहे’ को तटीय इलाकों में उच्च जोखिम वाले मिशनों के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है। इसकी क्षमताएं इसे एक शक्तिशाली उथले जल का योद्धा बनाती हैं। इसकी मुख्य परिचालन भूमिकाओं की बात करें तो यह एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में उथले समुद्र में दुश्मन पनडुब्बियों की खोज और उन्हें नष्ट करेगा। कोस्टल पेट्रोलिंग व तटीय सुरक्षा और निगरानी में तैनात किया जाएगा।