क्या रिमाउंट एवं वेटरनरी कोर के ये पशु योद्धा हर कदम पर राष्ट्र की सेवा और रक्षा करते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- रिमाउंट एवं वेटरनरी कोर की स्थापना 1779 में हुई थी।
- इस कोर ने 250 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा दी है।
- ये सैन्य पशु आतंकवाद-रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- महिला अधिकारियों की भर्ती 2023 में शुरू हुई।
- कोर ने कोविड-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना की प्रतिष्ठित शाखाओं में से एक रिमाउंट एवं वेटरनरी कोर है। इस कोर ने रविवार को अपने 247वें कोर दिवस का गौरवपूर्ण आयोजन किया। यह विशेष यूनिट बिना शब्दों के सैनिक तैयार करती है, जैसे डॉग स्क्वाड और शानदार घोड़े। भारतीय सेना के कुत्ते, घोड़े और खच्चर जैसे पशु, हर तैनाती में राष्ट्र की सेवा और रक्षा करते हैं।
सेना के श्वान आठ विशेष कौशलों में प्रशिक्षित होते हैं और ये आतंकवाद-रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक्सल, जूम, मानसी, केंट और फैंटम जैसे वीर सैन्य श्वानों ने अद्वितीय साहस का परिचय देते हुए अपने प्राणों का बलिदान किया है। जहां मशीनें थक जाती हैं, वहां सेना के घोड़े, खच्चर और कुत्ते अपना फर्ज निभाते हैं। वफादारी इनकी पहचान है और बलिदान इनका स्वभाव है।
ये सामान्य पशु नहीं बल्कि भारतीय सेना के श्वान और अश्व हैं। ये सिर्फ पशु नहीं, बल्कि योद्धा और भारतीय सेना के सच्चे साथी हैं। रिमाउंट एवं वेटरनरी कोर लगभग 250 वर्षों के उत्कृष्ट, निष्ठावान और विशिष्ट सेवा का प्रतीक है। इस कोर की उत्पत्ति 1779 में बंगाल में स्थापित स्टड डिपार्टमेंट से हुई थी। समय-समय पर पुनर्गठन के बाद 1960 में इसे औपचारिक रूप से रिमाउंट एवं वेटरनरी कोर का नाम दिया गया। इसे 1989 में राष्ट्रपति ध्वज भी प्रदान किया गया।
वेटरनरी कोर का आदर्श वाक्य ‘पशु सेवा अस्माकं धर्मः’ है, जिसका अर्थ है पशुओं की सेवा ही हमारा धर्म है। यह कोर भारतीय सेना के अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सैन्य पशुओं की देखभाल, प्रबंधन और संचालन में सहायता करती है।
सेना के अनुसार, कोर ने प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध सहित स्वतंत्रता के बाद सभी युद्धों में योगदान दिया है, जिसने भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत किया है। यह कोर घोड़ों, खच्चरों एवं सैन्य श्वानों का प्रजनन, प्रशिक्षण और आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण कार्य करती है। यह विभिन्न एनिमल होल्डिंग यूनिट्स को समर्थन प्रदान करती है। यह जैव प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, आईसीएआर और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करती है।
इन संस्थानों के सहयोग से पशु रोगों की रोकथाम, अनुसंधान और हेल्थ प्रबंधन में कोर योगदान देती है। दुर्गम क्षेत्रों में यह लॉजिस्टिक्स की जीवनरेखा है। दुर्गम और ऊंचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में, जहां वाहन नहीं पहुंच सकते, वहां खच्चर आज भी सबसे भरोसेमंद और किफायती साधन हैं। कोर इनकी सहायता से आवश्यक रसद की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करती है।
भारतीय सेना की नारी शक्ति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, इस कोर में 2023 से महिला अधिकारियों की भर्ती प्रारंभ की गई है। अब तक 7 महिला अधिकारी कमीशन हो चुकी हैं, जिनमें से एक का चयन सेना की पहली महिला स्काइडाइविंग टीम के लिए हुआ है। कोर ने कोविड-19 महामारी के दौरान आरटी-पीसीआर परीक्षण और कोविड केयर सुविधाओं के संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सैन्य दायित्वों से आगे बढ़कर, कोर एनसीसी घुड़सवारी प्रशिक्षण, दूरस्थ क्षेत्रों में मानवीय पशु चिकित्सा सहायता, संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भागीदारी और मित्र देशों को प्रशिक्षित पशु भेंट कर सैन्य कूटनीति में योगदान करती है। अपने 247वें कोर दिवस पर, भारतीय सेना ने रिमाउंट एवं वेटरनरी कोर की अनुकरणीय सेवा, संचालन उत्कृष्टता और राष्ट्र के प्रति सतत योगदान को नमन किया।