क्या भारतीय वायुसेना के 93वें स्थापना दिवस पर ताकत, अनुशासन और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन होगा?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय वायुसेना का 93वां स्थापना दिवस 8 अक्टूबर को है।
- ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने इस दिन को खास बना दिया है।
- गाजियाबाद में भव्य परेड का आयोजन होगा।
- भारतीय वायुसेना का लक्ष्य 2047 तक 60 स्क्वाड्रन बनाना है।
- वायुसेना की शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन होगा।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय वायुसेना हमारे देश का गर्व है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि वायुसेना क्या कर सकती है, जैसा कि हमने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान देखा। राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस यूनिट ने आतंकियों के ठिकानों पर ऐसी कार्रवाई की, जिसे वे कभी भुला नहीं पाएंगे। 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना का 93वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा।
हमने भारतीय वायुसेना की वीरता का प्रदर्शन 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान देखा था। वायुसेना की अत्याधुनिक मारक क्षमता ने कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान को हैरान कर दिया था। साथ ही, एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के किसी भी संभावित हमले को हमारी सीमाओं में प्रवेश करने से रोक दिया था। इस कारण, पाकिस्तान ने संघर्ष विराम के लिए हमारे सेना के डीजीएमओ के सामने विनम्रता दिखाई। इस बार का स्थापना दिवस विशेष है, क्योंकि वायुसेना अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी।
8 अक्टूबर को गाजियाबाद के हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर मुख्य परेड का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह, थल सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख, और पूर्व वायुसेना प्रमुख भी शामिल होंगे। परेड में वायुसेना की शक्ति, अनुशासन, और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन किया जाएगा। इसका नेतृत्व वायुसेना प्रमुख ए.पी. सिंह करेंगे।
साहस और वीरता का प्रतीक भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 में हुई थी। उस समय इसे 'रॉयल इंडियन एयरफोर्स' के नाम से जाना जाता था। स्वतंत्रता के बाद इसे 'भारतीय वायुसेना' के रूप में जाना जाने लगा। स्थापना के बाद से ही वायुसेना ने देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में इसका योगदान रहा है। भारतीय वायुसेना ने वैश्विक शांति के लिए भी संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर कार्य किया है।
ग्लोबल फायरपावर डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, रूस, चीन और जापान के बाद भारत की वायुसेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायुसेना है। भारतीय वायुसेना के पास 2,229 विमान हैं, जिसमें 53 फाइटर जेट, 899 हेलीकॉप्टर और 831 सहायक विमान शामिल हैं। भारतीय वायुसेना भविष्य में और भी ताकतवर होने जा रही है, इसके लिए कई परियोजनाएं चल रही हैं। आने वाले वर्षों में भारत लड़ाकू विमानों के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। भारतीय वायुसेना का लक्ष्य 2047 तक लड़ाकू विमानों की संख्या को 60 स्क्वाड्रन तक बढ़ाना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य उभरती वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों के उत्तर में वायु प्रभुत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
भारतीय वायुसेना के वर्तमान बेड़े में स्वदेशी और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के विमान शामिल हैं। घरेलू स्तर पर निर्मित एलसीए तेजस एमके-1, सुखोई एसयू-30 एमकेआई, मिग-29, मिराज 2000, राफेल और जगुआर शामिल हैं। एसयू-30 एमकेआई बेड़े का सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें 260 से अधिक विमान हैं। राफेल (36) और तेजस एमके-1ए जैसे आधुनिक विमानों का जुड़ना आधुनिकीकरण में प्रगति को दर्शाता है। 2047 तक 60 स्क्वाड्रन तक पहुँचने पर, भारतीय वायुसेना के बेड़े में लगभग 1,080 से 1,200 लड़ाकू विमानों की संख्या होगी, जो इसके वर्तमान आकार का लगभग दोगुना है। यह लक्ष्य मुख्य रूप से बढ़ते क्षेत्रीय खतरों से निपटने की जरूरतों पर आधारित है।
भारत के कुछ प्रमुख एयर डिफेंस सिस्टम में रूस से खरीदी गई एस-400 ट्रायम्फ, देश में निर्मित आकाश मिसाइल सिस्टम, इजरायल के साथ संयुक्त रूप से विकसित बराक-8 मिसाइल सिस्टम, प्रोजेक्ट कुशा और मिशन सुदर्शन चक्र (भारत में निर्मित), अक्षतीर एयर डिफेंस सिस्टम और रक्षा कवच शामिल हैं, जो दुश्मन के किसी हमले को विफल करने में सक्षम हैं।