क्या भोपाल में 7 नवंबर को एसआईआर पर चुनाव आयोग से वाम और धर्मनिरपेक्ष दलों की चर्चा होगी?
सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर की प्रक्रिया का आरंभ।
- वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों की चिंताएँ।
- बिहार के आंकड़ों से उत्पन्न मतदाता अधिकारों का संकट।
- मुख्य चुनाव अधिकारी से भविष्य की मुलाकात।
- समाज के वंचित तबकों की अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता।
भोपाल, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस पर कई राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए हैं। इसी संदर्भ में, वामपंथी दलों एवं धर्मनिरपेक्ष दलों की शुक्रवार को चुनाव आयोग के साथ चर्चा प्रस्तावित है। एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग के साथ होने वाली बातचीत से पहले, प्रदेश के वामपंथी धर्मनिरपेक्ष दलों की बैठक गुरुवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कार्यालय में आयोजित की गई।
बैठक में, चुनाव आयोग की ओर से मध्य प्रदेश सहित 12 राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा पर चिंता जताई गई। इस प्रक्रिया के चलते आम मतदाताओं में उत्पन्न संदेहों और बिहार के अनसुलझे सवालों पर चर्चा की गई। इन दलों ने शुक्रवार को शाम चार बजे मुख्य चुनाव अधिकारी से मिलने का निर्णय लिया है।
मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात से पहले हुई बैठक में, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, सीपीआई के राज्य सचिव शैलेंद्र कुमार शैली, समाजवादी पार्टी के रतन लाल बाथम, और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राज्य सचिव अजय श्रीवास्तव के अलावा अन्य नेताओं ने भाग लिया।
विपक्षी दलों का कहना है कि बिहार के बाद अब मध्य प्रदेश समेत 12 राज्यों में एसआईआर की घोषणा, समाज के वंचित तबकों, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और गरीबों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश का हिस्सा है, जिसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग बिहार एसआईआर से सामने आए भयावह तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रहा है। बिहार में 18 साल से ऊपर की जनसंख्या 8.22 करोड़ है, जबकि मतदाता सूची में केवल 7.42 करोड़ मतदाता हैं। इससे स्पष्ट है कि 80 लाख बिहारी मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर दिया गया है, जो कुल मतों का 10 प्रतिशत है। यह स्थिति खतरनाक है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में एनडीए और महागठबंधन के मतों में केवल 12678 मतों का मामूली अंतर था।