क्या भुने चने में औरामाइन नामक खतरनाक केमिकल का प्रयोग हो रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- प्रियंका चतुर्वेदी का स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखना एक महत्वपूर्ण कदम है।
- औरामाइन का उपयोग खाद्य पदार्थों में करना गैरकानूनी है।
- खाद्य सुरक्षा के लिए सख्त नियमों की जरूरत है।
- सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
- सरकार को जांच और निरीक्षण की प्रक्रिया को मजबूत करना चाहिए।
मुंबई, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के बारे में आगाह करते हुए एक विस्तृत पत्र लिखा है। सांसद ने बताया कि देशभर में बेचे जाने वाले भुने हुए चने में रंग को चमकाने के लिए औरामाइन नामक एक खतरनाक कार्सिनोजेनिक डाई मिलाया जा रहा है, जो लोगों की सेहत के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
प्रियंका चतुर्वेदी के अनुसार, यह मामला केवल मिलावट का नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर लाखों-करोड़ों लोगों की सेहत से खिलवाड़ है। उनका कहना है कि औरामाइन असल में कपड़ा और चमड़े की इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाला एक इंडस्ट्रियल केमिकल डाई है, जिसे खाद्य पदार्थों में मिलाना पूरी तरह से गैरकानूनी है। इसके बावजूद, कई जगह इसका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत इस डाई का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इतना ही नहीं, डब्ल्यूएचओ की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने इसे संभावित कैंसरकारी पदार्थ माना है। यह डाई लिवर, किडनी और ब्लैडर कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है और शरीर के नर्वस सिस्टम पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
उन्होंने एफएसएसएआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि बाजार में निगरानी बहुत कमजोर है, खाद्य पदार्थों की नियमित जांच पर्याप्त तरीके से नहीं होती, और सार्वजनिक चेतावनियां समय पर जारी नहीं की जाती हैं। नियमों का पालन कराने की प्रक्रिया भी ढीली पड़ी हुई है। इन खामियों के कारण ऐसी खतरनाक प्रथाएं बिना पकड़े चलती रहती हैं और लोगों की सेहत खतरे में पड़ जाती है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को भेजे गए पत्र में मांग की कि देशव्यापी हेल्थ अलर्ट जारी किया जाए ताकि लोग इस मिलावट के बारे में जागरूक हों। देशभर में भुने चने और अन्य खाद्य पदार्थों की टेस्टिंग करवाई जाए। नियम तोड़ने वालों के लिए निरीक्षण, लैब टेस्टिंग, लाइसेंस निलंबन, जुर्माना और जेल की सजा सहित सख्ती से कार्रवाई की जाए। राज्य के हेल्थ डिपार्टमेंट को पैरेलल टेस्टिंग और इसे लागू करने के निर्देश दिए जाएं। इस उल्लंघन को बढ़ावा देने वाली सिस्टम की कमियों की पहचान के लिए एफएसएसएआई प्रोटोकॉल का आंतरिक ऑडिट किया जाए।
उन्होंने कहा कि खाने में कैंसरकारी रसायन डालना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। सांसद ने लिखा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जनता की सेहत की सुरक्षा सुनिश्चित करे और लोगों के बीच भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भरोसा बहाल करे।