क्या बिहार चुनाव 2025 में एकमा की राजनीतिक हलचल जातीय समीकरणों पर भारी पड़ेगी या विकास की राह चुनेगा मतदाता?

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क्या बिहार चुनाव 2025 में एकमा की राजनीतिक हलचल जातीय समीकरणों पर भारी पड़ेगी या विकास की राह चुनेगा मतदाता?

सारांश

बिहार की एकमा विधानसभा सीट पर आगामी चुनावों में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। क्या जातीय समीकरण चुनावी नतीजों को प्रभावित करेंगे या मतदाता विकास को प्राथमिकता देंगे? जानिए इस सीट की चुनौतियों और अवसरों के बारे में।

Key Takeaways

  • एकमा विधानसभा सीट बिहार की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है।
  • जातीय समीकरण चुनावी परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
  • विकास के मुद्दे भी अब राजनीति का हिस्सा बन गए हैं।
  • इस क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था पर निर्भर है।
  • स्थानीय त्योहार महावीरी झंडा मेला क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान है।

पटना, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की एकमा विधानसभा सीट को हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। हर चुनाव में यहां का मुकाबला न केवल कड़ा बल्कि बेहद दिलचस्प भी होता है, और इस बार भी सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की निगाहें इस सीट पर हैं।

एकमा विधानसभा सीट न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां के जातीय समीकरण, सांस्कृतिक विरासत और विकास से जुड़ी चुनौतियां भी इसे विशेष बनाती हैं।

यह क्षेत्र सारण जिले में स्थित है और महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। एकमा सामान्य श्रेणी की सीट है, जिसमें एकमा और लहलादपुर सामुदायिक विकास खंड के साथ-साथ मांझी प्रखंड की नौ ग्राम पंचायतें और एकमा प्रखंड की तीन ग्राम पंचायतें शामिल हैं।

वर्तमान में यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास है। यहां ब्राह्मण, राजपूत और यादव समुदायों का प्रभाव चुनावी नतीजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

1951 में पहली बार यहां चुनाव हुए थे, लेकिन इसके बाद यह सीट समाप्त हो गई थी। 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट फिर से अस्तित्व में आई। 2010 के चुनाव में मनोरंजन सिंह (धूमल सिंह) यहां से विधायक बने और 2015 में भी उन्होंने जीत हासिल की। हालांकि, 2020 में जेडीयू ने उनका टिकट काट दिया और राजद के श्रीकांत यादव ने चुनाव जीतकर सीट पर कब्जा किया।

एकमा शहर छपरा-सीवान रेलमार्ग पर स्थित है और सड़क मार्ग से भी आसपास के शहरी केंद्रों से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र घाघरा और गंडक नदियों के उपजाऊ मैदान में स्थित है, जहां कृषि प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। धान, गेहूं, मक्का और दालें यहां की मुख्य फसलें हैं।

क्षेत्र में कुछ लघु स्तर की चावल मिलें और ईंट भट्टे भी हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास न होने के कारण यहां के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित हैं।

एकमा के भोरोहोपुर गांव में हर साल महावीरी झंडा मेला आयोजित होता है, जो स्थानीय ग्रामीण संस्कृति का प्रमुख उत्सव है। यह परंपरा वर्षों पुरानी है और क्षेत्रवासियों के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

आगामी विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर जनता किसे अपना जनप्रतिनिधि चुनती है और क्या वाकई यहां विकास की नई राह खुलती है।

Point of View

विकास के मुद्दे भी अब चुनावी नतीजों को प्रभावित कर रहे हैं।
NationPress
10/10/2025

Frequently Asked Questions

एकमा विधानसभा सीट का इतिहास क्या है?
एकमा विधानसभा सीट 1951 में पहली बार अस्तित्व में आई थी, लेकिन इसके बाद यह समाप्त हो गई। 2008 में परिसीमन के बाद यह फिर से अस्तित्व में आई।
कौन-कौन से समुदाय एकमा में प्रभावी हैं?
एकमा में ब्राह्मण, राजपूत और यादव समुदायों का चुनावी नतीजों में महत्वपूर्ण प्रभाव है।