क्या सोनपुर सीट पर फिर से जीत का परचम लहराएगा कोई नया चेहरा?

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क्या सोनपुर सीट पर फिर से जीत का परचम लहराएगा कोई नया चेहरा?

सारांश

सोनपुर विधानसभा क्षेत्र, जो बिहार को दो मुख्यमंत्री देने का गौरव रखता है, नए मुद्दों और रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में है। क्या यहाँ का चुनावी इतिहास फिर से दोहराएगा? जानिए इस महत्वपूर्ण सीट की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • सोनपुर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास महत्वपूर्ण है।
  • हरिहरनाथ मेला एशिया के सबसे बड़े मेलों में से एक है।
  • यह क्षेत्र गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित है।
  • स्थानीय भाषा भोजपुरी और मैथिली में अंतर है।
  • अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।

पटना, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सोनपुर विधानसभा क्षेत्र, जिसने बिहार को दो-दो मुख्यमंत्री दिए, अब नई रणनीति और नए मुद्दों के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटा है। राजद के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 1980 में इस सीट से जीतकर विधानसभा में कदम रखा था। वहीं, रामसुंदर दास भी इसी क्षेत्र से जुड़े रहे हैं, जो बिहार के मुख्यमंत्री रहे।

जेपी आंदोलन के बाद 1977 में हुए चुनाव में रामसुंदर दास इस क्षेत्र से निर्वाचित होकर मुख्यमंत्री बने थे।

सोनपुर ने अब तक कई हाई-प्रोफाइल चुनावी लड़ाई देखी हैं, लेकिन यहाँ की जनता अपने अपमान को नहीं भूलती और समय आने पर उसका जवाब देती है। 1980 में लालू प्रसाद को जिताया गया, लेकिन जब उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया, तो जनता ने इसे विश्वासघात मान लिया।

2010 के चुनाव में जनता ने इसका बदला लेते हुए उनकी पत्नी राबड़ी देवी को हराया और तब से राजद यहाँ से जीत हासिल नहीं कर पाई है।

सोनपुर विधानसभा क्षेत्र, दक्षिण में गंगा और पूर्व में गंडक नदी से घिरा है। यह न केवल राजनीतिक, बल्कि ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भूमि 'हरि और हर' यानी विष्णु और शिव की भूमि मानी जाती है।

इस भूमि की सियासत में जितनी ख्याति है, उतनी ही हरिहरक्षेत्र मेला से यह विश्वविख्यात है। सोनपुर पशु मेला नवंबर महीने में कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) को गंगा और गंडक नदी के संगम पर आयोजित किया जाता है।

यह दिन भगवान हरिहरनाथ की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे हरिहरनाथ मेला के नाम से भी जाना जाता है और यह पूरे एशिया से आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है।

गंडक नदी के तट पर एक प्राचीन हरिहर मंदिर मौजूद है, जहाँ भक्त पवित्र स्नान और पूजा-अर्चना करके मेले की शुरुआत करते हैं।

हरिहरनाथ क्षेत्र के सोनपुर मेले की संकल्पना भगवान हरिहरनाथ (विष्णु और शिव) की पूजा के इर्द-गिर्द घूमती है। ऐतिहासिक वृत्तांत बताते हैं कि इसकी शुरुआत प्राचीन काल में हुई, जब चंद्रगुप्त मौर्य (340-297 ईसा पूर्व) गंगा नदी के पार हाथी और घोड़े खरीदने आया करते थे। आज यह पारंपरिक और आधुनिक गतिविधियों का मिश्रण बन गया है, जिसमें ऐतिहासिक स्नान और मंदिरों के दर्शन से लेकर स्टॉल और मनोरंजन पार्क तक शामिल हैं। इसमें विभिन्न सरकारी विभागों के स्टॉल के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों और पशु व्यापारियों की प्रदर्शनी भी है।

सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, सोनपुर और हाजीपुर के बीच तीव्र भाषाई परिवर्तन है। ये दोनों जुड़वां शहर केवल गंडक नदी के कारण अलग हैं, फिर भी भाषा हाजीपुर में मैथिली तो सोनपुर में भोजपुरी में नाटकीय रूप से बदल जाती है।

इस निर्वाचन क्षेत्र में अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने चार बार जीत हासिल की, आखिरी बार 1972 में। लालू की राजद ने भी चार बार जीत हासिल की है, जिसमें 2015 और 2020 के पिछले दो चुनाव शामिल हैं। भाजपा, जनता दल और जनता पार्टी ने दो-दो बार जीत हासिल की है, जबकि निर्दलीय, भाकपा और लोकदल ने एक-एक बार जीत हासिल की है।

Point of View

NationPress
03/10/2025

Frequently Asked Questions

सोनपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थिति क्या है?
सोनपुर विधानसभा क्षेत्र बिहार राज्य में स्थित है, जो गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित है।
सोनपुर पशु मेला कब आयोजित होता है?
सोनपुर पशु मेला हर साल नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है।
इस निर्वाचन क्षेत्र में कितने चुनाव हो चुके हैं?
इस निर्वाचन क्षेत्र में अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।
सोनपुर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
सोनपुर का ऐतिहासिक महत्व इसके हरिहरनाथ मंदिर और पशु मेले के कारण है।
कौन-कौन से दलों ने सोनपुर में जीत हासिल की है?
कांग्रेस, राजद, भाजपा, जनता दल और अन्य दलों ने सोनपुर में जीत हासिल की है।