क्या बिहार चुनाव में औराई की सियासी जंग में बाढ़ और विकास महत्वपूर्ण मुद्दे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- औराई विधानसभा सीट पर हर चुनाव में समीकरण बदलते हैं।
- बाढ़ और विकास के मुद्दे स्थानीय राजनीति में महत्वपूर्ण हैं।
- यहाँ की जनसंख्या ५,३९,६८८ है।
- राजनीतिक दलों में भाजपा, राजद, और जदयू प्रमुख हैं।
- युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसरों की कमी एक गंभीर चुनौती है।
पटना, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की औराई विधानसभा सीट उन क्षेत्रों में आती है, जहाँ हर चुनाव में समीकरण बदलते हैं। यह विधानसभा एक सामान्य वर्ग की सीट है, जिसमें औराई और कटरा प्रखंड की १६ ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
यह क्षेत्र मुजफ्फरपुर शहर से लगभग ३० किलोमीटर उत्तर में स्थित है और जिले की उत्तरी सीमा तक फैला हुआ है। इसका भूगोल पूर्वी चंपारण की सीमा तक विस्तारित है। औराई का अधिकांश भाग गंडक और बागमती नदियों की बाढ़ प्रभावित घाटियों में आता है, जहाँ हर साल बाढ़ ग्रामीण जीवन और कृषि को प्रभावित करती है। उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी इसे कृषि के लिए उपयुक्त बनाती है, और यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से धान, मक्का, और सब्जियों की खेती पर निर्भर करती है। स्थानीय लोगों की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत पशुपालन भी है।
भौगोलिक रूप से, औराई का जुड़ाव मुजफ्फरपुर से सड़क मार्ग के माध्यम से है। आसपास के प्रमुख शहरों में सीतामढ़ी (४५ किमी), दरभंगा (६५ किमी), समस्तीपुर (७० किमी) और मोतिहारी (७५ किमी) शामिल हैं। राजधानी पटना यहाँ से लगभग ९५ किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
औराई विधानसभा सीट का गठन १९६७ में हुआ था और तब से अब तक यहाँ १५ बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें २००९ का उपचुनाव भी शामिल है। इस सीट पर जनता पार्टी और जदयू ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस, जनता दल, भाजपा और राजद ने दो-दो बार जीत दर्ज की है। इसके अलावा, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने एक बार सफलता प्राप्त की है।
इस सीट के चुनावी परिणाम यह स्पष्ट करते हैं कि औराई के मतदाताओं ने कभी किसी एक दल के प्रति स्थायी निष्ठा नहीं दिखाई, बल्कि समय-समय पर बदलते समीकरणों के आधार पर मतदान किया है।
साल २००९ के उपचुनाव के बाद भाजपा के राम सूरत राय और राजद के सुरेंद्र कुमार यादव के बीच सीधी टक्कर रही है। २००९ में उपचुनाव में सुरेंद्र यादव ने जीत हासिल की थी, लेकिन २०१० के विधानसभा चुनाव में राम सूरत राय ने उन्हें हराकर सीट अपने नाम कर ली। २०१५ में राजद ने इस सीट को अपने पक्ष में कर लिया। हालाँकि, २०२० के चुनाव में राम सूरत राय ने वापसी की और पुनः जीत दर्ज की। पिछले एक दशक के चुनावी परिणामों से हम यह कह सकते हैं कि औराई की राजनीति महज दो चेहरों के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
राजनीतिक समीकरणों के संदर्भ में, इस क्षेत्र में यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, मुसहर, और कुशवाहा समुदायों की निर्णायक भूमिका है। यादव और मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से राजद के पक्ष में रहते हैं, जबकि भूमिहार और ब्राह्मण वोटरों का झुकाव भाजपा की ओर होता है। साथ ही, दलित और पिछड़े वर्गों में जदयू की पकड़ है।
विकास के मोर्चे पर यह विधानसभा क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। हर साल गंडक और बागमती नदियों की बाढ़ ग्रामीण इलाकों को तबाह करती है, जिससे कृषि और आवागमन दोनों प्रभावित होते हैं। सिंचाई व्यवस्था कमजोर है, सड़कें खराब हैं, और स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं। युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसरों की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है। जनता की सबसे बड़ी मांग स्थायी बाढ़ समाधान, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, और गांवों तक सड़क संपर्क का विस्तार है।
२०२४ के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या ५,३९,६८८ है, जिसमें २,८३,७४५ पुरुष और २,५५,९४३ महिलाएं शामिल हैं। कुल मतदाताओं की संख्या ३,२०,३५७ है, जिसमें १,७०,३४२ पुरुष, १,५०,००६ महिलाएं, और ९ थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। ग्रामीण स्वरूप के कारण यहाँ की राजनीति कृषि, बाढ़, और जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती है।