क्या बिहार चुनाव में सकरा सीट पर जीत का अंतर फिर से कम होगा?

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क्या बिहार चुनाव में सकरा सीट पर जीत का अंतर फिर से कम होगा?

सारांश

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट पर जीत और हार का फर्क हमेशा कम रहा है। 2020 का चुनाव एक रोमांचक अध्याय था, जिसमें जीत का अंतर मात्र 1,537 वोट था। क्या इस बार भी ऐसा होगा?

Key Takeaways

  • सकरा सीट पर जीत और हार का अंतर हमेशा कम होता है।
  • 2020 का चुनाव एक अद्वितीय घटना थी।
  • मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक होते हैं।
  • सकरा का राजनीतिक इतिहास बदलता रहता है।
  • यह सीट मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

पटना, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट राजनीति में एक जटिल पहेली बन चुकी है, जहां जीत और हार का निर्णय अक्सर नाजुक अंतर से होता है। साल 2020 का विधानसभा चुनाव सकरा के राजनीतिक इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में लिखा गया है।

यह मुकाबला इतना करीबी था कि अंतिम गिनती तक सभी की सांसें थमी हुई थीं। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार अशोक कुमार चौधरी ने इस मुकाबले में इंडियन नेशनल कांग्रेस के उमेश कुमार राम को पराजित किया, लेकिन जीत का अंतर मात्र 1,537 वोट था।

सकरा सीट के इतिहास से यह स्पष्ट होता है कि यहां की जनता किसी एक पार्टी के प्रति स्थिर नहीं रहती। यह हर बार अपने निर्णय में बदलाव लाती है। 2015 के चुनाव में, यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कब्जे में थी, जहां लाल बाबू राम ने शानदार जीत दर्ज की थी। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अर्जुन राम को बड़े अंतर से हराया था।

वहीं, 2010 में सकरा सीट पर जदयू के सुरेश चंचल ने राजद के लाल बाबू राम को भारी मतों के अंतर से हराया था। इस प्रकार, पिछले तीन चुनावों में यह सीट जदयू, राजद और फिर जदयू के खाते में जाती रही है। यह एक संकेत है कि सकरा की जनता हर बार नए समीकरणों के साथ चुनाव में भाग लेती है।

सकरा विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पहचान केवल चुनावों तक सीमित नहीं है। यह मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसके आस-पास समस्तीपुर और वैशाली जैसे महत्वपूर्ण जिलों का होना इसे विशेष बनाता है।

2020 की वोटर लिस्ट के अनुसार, इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 56 हजार मतदाता हैं, जो किसी भी उम्मीदवार की किस्मत को तय करने में सक्षम हैं।

यहां के वोट बैंक में मुस्लिम और यादव मतदाता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। माना जाता है कि यदि इन दोनों समुदायों का समर्थन किसी उम्मीदवार को मिलता है, तो उसकी राह आसान हो जाती है। हालांकि, अन्य प्रभावशाली समुदाय जैसे राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कोइरी, रविदास और पासवान मतदाताओं का प्रभाव भी निर्णायक होता है।

Point of View

NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

सकरा विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास क्या है?
सकरा विधानसभा सीट का इतिहास विभिन्न दलों के बीच सत्तारूढ़ होने के साथ-साथ नजदीकी चुनावों से भरा हुआ है।
सकरा सीट पर किस समुदाय का वोट महत्वपूर्ण होता है?
सकरा सीट पर मुस्लिम और यादव मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2020 के चुनाव में जीत का अंतर कितना था?
2020 के चुनाव में जीत का अंतर केवल 1,537 वोट था।