क्या कांग्रेस पुराने वोट बैंकों को जोड़कर अपनी छवि बदलने में जुटी है?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस ने पुराने वोट बैंक को पुनः साधने का प्रयास किया है।
- मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा में राजद को इंतजार करवाया गया।
- कई नेता अपने पुत्रों और पुत्रियों के टिकट के लिए जुगाड़ में थे।
- राहुल और प्रियंका गांधी चुनावी प्रचार में सक्रिय हैं।
- कांग्रेस ने इस बार किसी बाहुबली को टिकट नहीं दिया है।
पटना, १ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान तेजी से चल रहा है। हालांकि, मौसम में बदलाव ने इस प्रचार की रफ्तार को कुछ ब्रेक लगा दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस के नेता अपनी खोई हुई जमीन को पुनः पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि कांग्रेस इस बार कई ऐसे फैसले ले रही है, जिससे उसकी पुरानी छवि में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।
चुनाव की आहट से पहले ही, कांग्रेस ने कृष्णा अल्लावरु को बिहार का प्रभारी नियुक्त कर यह संकेत दिया था कि पार्टी कुछ अलग करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। कांग्रेस ने जिस प्रकार से मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा को लेकर अपनी सहयोगी पार्टी राजद को अंतिम क्षण तक इंतजार करवाया, उससे यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस अब राजद की पिछलग्गू बनने के ठप्पे से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के एक नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि इस चुनाव में पार्टी ने किसी आतंक या बाहुबली को टिकट नहीं दिया है। कई नेता अपने पुत्रों और पुत्रियों के टिकट के लिए जुगाड़ में थे, लेकिन किसी को भी उम्मीदवार नहीं बनाया गया। हालांकि, गठबंधन में कुछ तनातनी भी देखने को मिली, लेकिन पार्टी ने इसे भी सुलझा लिया।
एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस के केंद्रीय नेता भी लगातार इस चुनाव में बिहार आ रहे हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनावी प्रचार में सक्रिय हो गए हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस इस चुनाव के जरिए आगे की तैयारी कर रही है।
कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक को साधने की कोशिश में है। जहां सीमांचल में मुसलमान वोट बैंक को जोड़ने का प्रयास चल रहा है, वहीं मिथिलांचल में अपने पुराने गढ़ को भी मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
चुनाव से पहले, राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा के माध्यम से १६ दिनों तक विभिन्न जिलों का दौरा किया था और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करते हुए जोश भरने का कार्य किया था।
बता दें कि बिहार में इस चुनाव में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने ६० प्रतिनिधियों को चुनावी मैदान में उतारा है, हालांकि कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष भी देखने को मिल रहा है।