क्या एसआईआर के जरिए बिहार के बाहर रहने वाले लोगों को मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है?

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क्या एसआईआर के जरिए बिहार के बाहर रहने वाले लोगों को मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है?

सारांश

बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर प्रक्रिया ने उठाए कई सवाल। राजद सांसद सुधाकर सिंह ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि यह प्रक्रिया बिहार के बाहर रहने वाले लोगों को मतदाता सूची से हटाने के लिए एक साजिश है। जानें पूरी खबर।

Key Takeaways

  • बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं।
  • राजद सांसद ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को सुझाव दिए हैं जो अनदेखा किए गए हैं।
  • आधार कार्ड और नागरिकता के मुद्दों पर आयोग को स्पष्टता देनी चाहिए।

नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। जानकारी के अनुसार, इस प्रक्रिया के तहत लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जा सकते हैं। एसआईआर के पहले चरण के संपन्न होने पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद सुधाकर सिंह ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 22 लाख मृत मतदाताओं और 35 लाख बाहरी निवासियों को हटाने के आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, जो सही नहीं हैं।

राजद सांसद का दावा है कि कई जीवित व्यक्तियों को मृत घोषित किया गया है और बिहार के बाहर रहने वाले लोगों को गैरकानूनी तरीके से मतदाता सूची से हटाने का प्रयास किया जा रहा है।

सोमवार को मीडिया से बातचीत में राजद सांसद ने आरोप लगाया कि विदेशी नागरिकों के नाम पर बिहार के वैध मतदाताओं को सूची से हटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। चुनाव आयोग ने कहा है कि एसआईआर का उद्देश्य गैर-नागरिकों को मतदाता सूची से हटाना है, लेकिन आयोग ने विदेशी नागरिकों की संख्या का स्पष्टता नहीं दी है। यह एक संवेदनशील विषय है, क्योंकि भारत में मतदान का अधिकार केवल नागरिकों को है। एसआईआर प्रक्रिया में बिहार के मूल निवासियों को लक्ष्य बनाया जा रहा है।

सांसद ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को अनदेखा किया। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आयोग को आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड के सत्यापन के लिए स्वीकार करने पर विचार करने को कहा था। कोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिकता का सत्यापन गृह मंत्रालय का कार्यक्षेत्र है, न कि चुनाव आयोग का।

सुधाकर सिंह का मानना है कि आयोग ने इन सुझावों को लागू नहीं किया, जो आदेश के समान हैं। आधार कार्ड और नागरिकता पर उन्होंने सहमति जताई कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, जैसा कि चुनाव आयोग और यूआईडीएआई ने भी बताया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत का कोई भी वयस्क नागरिक मतदाता बनने का हकदार है, और आधार जैसे सामान्य दस्तावेजों को सत्यापन में शामिल करना चाहिए, जैसा कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी मांग की थी।

सुधाकर सिंह ने एसआईआर के 11 बिंदुओं (11 दस्तावेजों की सूची) को लागू न करने और प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, और सोमवार को इस पर सुनवाई होने वाली है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग को पारदर्शिता और निष्पक्षता से कार्य करना चाहिए। मतदाता सुरक्षा सुनिश्चित करना उनके प्राथमिक कर्तव्यों में से एक है। किसी भी प्रकार की साजिश से बचने के लिए आयोग को उचित प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
एसआईआर का अर्थ विशेष गहन पुनरीक्षण है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना है।
राजद सांसद सुधाकर सिंह ने क्या आरोप लगाए हैं?
उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग बिहार के बाहर रहने वाले लोगों को अवैध तरीके से मतदाता सूची से हटा रहा है।
क्या सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कोई सुझाव दिए हैं?
हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों को सत्यापन के लिए स्वीकार करने पर विचार करने को कहा था।