क्या बिहार की जनता ने शांति, स्थिरता और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार की जनता ने विकास और स्थिरता को प्राथमिकता दी।
- एनडीए की एकजुटता ने चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- नीतीश कुमार के सुशासन पर जनता का गहरा विश्वास है।
- जातीय और नकारात्मक राजनीति को नकारते हुए स्थिरता का चयन किया।
- युवाओं, महिलाओं और गरीबों का भरोसा इस जनादेश में स्पष्ट है।
पटना, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में शानदार विजय के बाद एनडीए के सभी सदस्यों में जश्न का माहौल है। राज्य के मंत्री अशोक चौधरी ने इस जनादेश को जनता के विश्वास और नेतृत्व की मजबूती का परिणाम बताया है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से कहा कि बिहार के नागरिकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी पर फिर से विश्वास जताकर यह सिद्ध कर दिया है कि वे शांति, स्थिरता और विकास को अपनी प्राथमिकता मानते हैं।
अशोक चौधरी ने कहा कि यह जीत केवल एक राजनीतिक दल की सफलता नहीं है, बल्कि पूरे एनडीए परिवार की सामूहिक मेहनत और एकता का परिणाम है। उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक जीत से यह स्पष्ट होता है कि जनता विकास की राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है और नीतीश कुमार के सुशासन मॉडल में गहरा विश्वास रखती है।
इस बीच, एलजेपी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने भी एनडीए की जीत को जनता के विश्वास की बड़ी मुहर बताया। उन्होंने कहा कि बिहार ने एक बार फिर जातीय और नकारात्मक राजनीति को नकारते हुए विकास, रोजगार और स्थिर सरकार के पक्ष में वोट दिया है।
शांभवी चौधरी ने कहा, "यह जीत बहुत बड़ी है। एनडीए के संपूर्ण नेतृत्व ने विकास के मुद्दों पर वोट मांगे और जनता ने जंगलराज और गुंडाराज को खारिज कर दिया। उन्होंने यह स्पष्ट संदेश दिया कि बिहार का वर्तमान और भविष्य एनडीए की सरकार के हाथों में ही सुरक्षित है।"
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने यह प्रदर्शित किया है कि वे बदलाव और विकास को असली मुद्दा मानते हैं। उन्होंने जनादेश को युवाओं, महिलाओं और गरीबों के भरोसे का प्रतीक बताया।