क्या बिहार के मंत्री लखेंद्र रौशन ने रामभद्राचार्य के जातिगत व्यवस्था पर दिए बयान का समर्थन किया?
सारांश
Key Takeaways
- जातिगत बंटवारा ने देश को कमजोर किया है।
- धार्मिक पहचान की स्पष्टता पर सवाल उठाया गया है।
- रामभद्राचार्य का जातिगत व्यवस्था के खिलाफ बयान महत्वपूर्ण है।
पटना, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार सरकार के मंत्री लखेंद्र कुमार रौशन ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के जातिगत व्यवस्था पर दिए बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर बंटवारे ने देश को कमजोर किया है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस की धार्मिक पहचान पर स्पष्टता की कमी के लिए आलोचना की।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने जातिगत व्यवस्था को समाप्त करने का समर्थन किया है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंत्री लखेंद्र कुमार रौशन ने कहा, "मैं रामभद्राचार्य की बातों का समर्थन करता हूं। लंबे समय से जाति व्यवस्था और वर्ण के आधार पर समाज के बंटवारे ने इस देश को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"
बाबा साहेब अंबेडकर और एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "ये केवल एक जाति या धर्म के नहीं हैं, बल्कि वे पूरे राष्ट्र के हैं। देश के महान व्यक्तियों ने किसी न किसी जाति में जन्म लिया, लेकिन जब उन्होंने महान कार्य किए तो वे देश के महान व्यक्ति बने। इसलिए जातिगत व्यवस्था व्यक्ति को कमजोर करती है और इससे राष्ट्र को भी मजबूती नहीं मिलती है।"
धार्मिक पहचान पर स्पष्टता की कमी को लेकर उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर सवाल उठाए। लखेंद्र कुमार रौशन ने कहा, "ये लोग खुलकर नहीं कह सकते कि वे हिंदू या मुसलमान हैं, किस धर्म को मानने वाले लोग हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ईमानदारी से यह नहीं बता सकते कि वे किस धर्म को मानने वाले लोग हैं।"
इसी बीच, उन्होंने अयोध्या का जिक्र करते हुए कहा, "अयोध्या राम मंदिर आस्था का केंद्र है। इस पर हर देशवासी को गर्व होता है, लेकिन कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं को इस पर गर्व नहीं है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"
एसआईआर के विषय पर मंत्री लखेंद्र कुमार रौशन ने कहा, "जब बिहार में एसआईआर प्रक्रिया शुरू हुई, तो विपक्ष ने भ्रम फैलाया। विपक्ष ने दावा किया कि नागरिकता छीन ली जाएगी और वोटर लिस्ट से नाम हटा दिए जाएंगे, लेकिन क्या ऐसा कुछ हुआ? केवल मृतकों के नाम हटाए गए और जो दो-तीन जगहों पर रजिस्टर्ड थे, उनके नाम हटाए गए।"