क्या बिहार में मतदाताओं के 127 दावों और आपत्तियों का समाधान किया गया?

Click to start listening
क्या बिहार में मतदाताओं के 127 दावों और आपत्तियों का समाधान किया गया?

सारांश

बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत 127 दावों और आपत्तियों का निपटारा कर दिया है। जानिए इस प्रक्रिया के पीछे की सच्चाई और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं। क्या इससे मतदाताओं का अधिकार सुरक्षित रहेगा?

Key Takeaways

  • मतदाता सूची का पुनरीक्षण महत्वपूर्ण है।
  • सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी आवश्यक है।
  • बिहार में 54,432 नए मतदाता पंजीकृत हुए हैं।
  • चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
  • एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य सभी को शामिल करना है।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संदर्भ में, अधिकारियों ने अब तक 10,570 में से 127 दावों और आपत्तियों का समाधान कर दिया है। यह जानकारी चुनाव आयोग ने सोमवार को साझा की।

चुनाव आयोग ने आगे बताया कि मतदाता सूची के प्रकाशन के 11 दिन बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने कोई शिकायत नहीं की है।

उस दिन जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत विपक्षी दलों के नेताओं को दिल्ली में कुछ राज्यों की मतदाता सूची में कथित हेराफेरी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया, उसी दिन चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में 1 अगस्त से अब तक 54,432 नए मतदाताओं ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आवेदन किया है, जो एसआईआर प्रक्रिया के बाद 18 वर्ष के हो चुके हैं।

बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर विपक्षी दलों ने कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इससे लाखों मतदाताओं का मताधिकार खतरे में पड़ सकता है। चुनाव आयोग ने इस आरोप को खारिज किया है।

चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को अपनी मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की थी और लोगों, दलों एवं उनके बूथ-स्तरीय एजेंटों (बीएलए) को मसौदा मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए एक महीने का समय दिया है।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास 47,506 बीएलए हैं। कांग्रेस के पास 17,549 और वाम दलों के पास 2,000 से अधिक बीएलए हैं, कुल मिलाकर 67,000 से अधिक बीएलए हैं।

चुनाव आयोग नियमित तौर पर राजनीतिक दलों से यह अनुरोध कर रहा है कि वे संशोधन प्रक्रिया में भाग लें और यदि कोई मताधिकार वंचित होने का मामला हो तो उसे आयोग के ध्यान में लाएं।

चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, "1 अगस्त को प्रकाशित बिहार की मतदाता सूची के मसौदे में किसी भी त्रुटि को सुधारने के लिए अपने दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करें। अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है।"

चुनाव आयोग ने 24 जून से लेकर 25 जुलाई तक एसआईआर अभियान चलाया। इस प्रक्रिया के दौरान कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किए।

अंत में 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची से लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 22 लाख मृतक मतदाता (2.83 प्रतिशत), 36 लाख (4.59 प्रतिशत) जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए थे या नहीं मिले, और 7 लाख (0.89 प्रतिशत) जिन्होंने एक से अधिक स्थानों पर नामांकन कराया था।

चुनाव आयोग ने सोमवार को फिर से दोहराया कि एसआईआर का लक्ष्य सभी मतदाताओं और सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करना है, ताकि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए।

Point of View

हमें यह समझने की आवश्यकता है कि चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता बहुत महत्वपूर्ण हैं। चुनाव आयोग का यह कदम आवश्यक है ताकि सभी मतदाता सुगमता से अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें।
NationPress
11/08/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य सभी मतदाताओं और राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
चुनाव आयोग ने कितने दावों का निपटारा किया?
चुनाव आयोग ने 127 दावों और आपत्तियों का समाधान किया है।