क्या बिहार में छठ महापर्व का जश्न अद्भुत नहीं है?

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क्या बिहार में छठ महापर्व का जश्न अद्भुत नहीं है?

सारांश

बिहार में छठ महापर्व की अद्भुत छटा देखने को मिल रही है, जब श्रद्धालु अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए गंगा तट और जलाशयों पर उमड़ पड़े हैं। जानिए इस महापर्व की खासियत और मुख्यमंत्री की पूजा का महत्व।

Key Takeaways

  • बिहार में छठ महापर्व का आयोजन भव्यता से होता है।
  • व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं।
  • मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने पूजा का आयोजन किया।
  • गंगा तट पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा है।
  • सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

पटना, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में छठ महापर्व की अद्भुत छटा देखने को मिल रही है। छठ घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हैं। चार दिवसीय इस महापर्व के तीसरे दिन सोमवार को, अनेक छठ व्रती गंगा तट और अन्य जलाशयों तक पहुंचे, ताकि वे अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर सकें। इस अवसर पर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने आवास पर जबकि उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अपने पैतृक आवास तारापुर में इस पूजा का आयोजन किया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ छठ पूजा की। उन्होंने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया और आराधना की। इस अवसर पर उनके साथ कई अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद रहे।

उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी अपने परिजनों के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और बिहार की उन्नति एवं समृद्धि की कामना की। पटना के विभिन्न छठ घाटों पर आस्था

पटना नगर निगम क्षेत्र में गंगा किनारे लगभग 102 घाटों और 63 तालाबों को व्रतियों के लिए अर्घ्य अर्पित करने की व्यवस्था की गई है। सभी घाटों पर व्रती पहुंचकर भगवान भास्कर की आराधना कर रहे हैं। गंगा तट पर बने छठ घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हैं, और सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

पटना की सभी सड़कें रंग-बिरंगी दूधिया रोशनी और आकर्षक तोरण-द्वारों से सजी हुई हैं। व्रतियों को छठ घाट तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए मोहल्लों में युवाओं और बच्चों ने झाड़ू लगाकर पानी का छिड़काव किया। रविवार की शाम को व्रतियों ने खरना किया, और लोग प्रसाद पाने के लिए देर रात तक व्रतियों के घर पहुंचते रहे।

खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी मंगलवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का व्रत समाप्त होगा। इसके बाद व्रती फिर अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करेंगे।

Point of View

बल्कि यह समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। इस पर्व के दौरान, लोग एकजुट होकर अपने इष्ट देवता की आराधना करते हैं, जो समाज में एकता और सहिष्णुता का संदेश देता है।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

छठ महापर्व कब मनाया जाता है?
छठ महापर्व हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है।
छठ पूजा में क्या किया जाता है?
छठ पूजा में व्रति सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं और 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं।
छठ महापर्व का महत्व क्या है?
यह पर्व कृषि, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए सूर्य देवता की आराधना करने का अवसर है।