क्या एसआईआर के तहत जीवित मतदाताओं को मृत घोषित किया गया?

सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया में गड़बड़ियों का आरोप
- जीवित मतदाताओं को मृत घोषित करना गंभीर मुद्दा है
- चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल
- तेजस्वी यादव के आरोपों का महत्व
- राजद का महागठबंधन में नेतृत्व
पटना, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता शक्ति सिंह यादव ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची में गड़बड़ियों का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि विशेषकर जीवित मतदाताओं को मृत घोषित कर दिया गया है।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया के कारण लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और चुनाव आयोग (ईसीआई) अपने फैसलों पर पूर्ण नियंत्रण में नहीं दिखता।
उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव के द्वारा लगाए गए सभी आरोप सही हैं। जब उन्होंने अपना इपिक नंबर साझा किया, तो आयोग ने जल्दबाजी में सुधार किया।
राजद नेता ने यह भी सवाल उठाया कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम एक जगह होने के बावजूद उनका नाम अलग क्यों है? चुनाव आयोग ने जो सुधार तेजी से किए हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। जब तेजस्वी ने आरोप लगाया था कि उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया, तब आयोग में अफरातफरी मच गई थी।
आयोग का कहना है कि एसआईआर की प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाने के लिए है। 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावा-आपत्ति की अवधि में लोग अपने नाम जोड़ने या सुधारने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
शक्ति सिंह यादव ने सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने महागठबंधन की जीत को राहुल गांधी के विजन से संभव बताया है। राजद नेता ने कहा कि तेजस्वी यादव केवल महागठबंधन की समन्वय समिति के अध्यक्ष नहीं हैं, बल्कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी विश्वसनीयता भी साबित हो चुकी है। किसी के कहने से कुछ नहीं होता है। नेतृत्व के फैसले सभी के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।