क्या बिहार में एसआईआर पर चुनाव आयोग का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में सही है?

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क्या बिहार में एसआईआर पर चुनाव आयोग का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में सही है?

सारांश

बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने कहा है कि हर योग्य मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना और सुनवाई के नहीं हटाया जाएगा। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी और क्या है आयोग की योजना।

Key Takeaways

  • हर योग्य मतदाता का नाम सूची में रहेगा।
  • सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है।
  • चुनाव आयोग पारदर्शिता को बढ़ावा दे रहा है।
  • बूथ स्तर अधिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान है।
  • राजनीतिक दलों को सूचियां उपलब्ध कराई जा रही हैं।

पटना, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा पेश किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि राज्य में किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और सक्षम अधिकारी के उचित आदेश के बिना मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा कि अंतिम मतदाता सूची में हर योग्य मतदाता का नाम शामिल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, और इस दिशा में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।

यह मामला तब चर्चा में आया जब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आरोप लगाया कि एसआईआर के दौरान गलत तरीके से 65 लाख मतदाताओं को सूची से बाहर कर दिया गया है। 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। अब 12 अगस्त को इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी।

आयोग ने अपने अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि एसआईआर का पहला चरण पूरा हो चुका है और 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई है। यह चरण बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं के नाम और आवश्यक फॉर्म जुटाने के बाद पूरा हुआ। कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ लोगों ने अपने नामों की पुष्टि की या फॉर्म जमा किए। इस व्यापक अभियान में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 बीएलओ, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रहे।

चुनाव आयोग ने आगे कहा कि राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराई गई, ताकि समय रहते नाम जोड़े जा सकें। प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन जारी किए गए और ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फॉर्म भरने की सुविधा दी गई। शहरी निकायों में विशेष कैंप आयोजित किए गए, युवाओं के पंजीकरण के लिए अग्रिम आवेदन की व्यवस्था की गई, जबकि वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और कमजोर वर्गों की मदद के लिए 2.5 लाख स्वयंसेवक तैनात किए गए।

चुनाव आयोग ने विशेष रूप से स्पष्ट किया है कि किसी भी नाम को प्रारूप सूची से हटाने से पहले नोटिस जारी करना, संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देना और सक्षम अधिकारी का कारणयुक्त आदेश आवश्यक होगा। प्रारूप सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक निर्धारित की गई है, जिसके लिए ऑनलाइन और प्रिंट दोनों प्रारूप उपलब्ध कराए गए हैं।

आयोग ने आगे कहा कि प्रक्रिया की पारदर्शिता और जनता की जागरूकता के लिए रोजाना प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है, ताकि किसी भी पात्र मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची से वंचित न रह जाए।

Point of View

जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी योग्य मतदाता अपने अधिकारों से वंचित न हों। इससे लोकतंत्र की मजबूती बढ़ेगी और मतदाता के अधिकारों की रक्षा होगी।
NationPress
10/08/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में एसआईआर क्या है?
बिहार में एसआईआर का मतलब विशेष गहन पुनरीक्षण है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची की सही पहचान करना है।
इस हलफनामे का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस हलफनामे का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना उचित प्रक्रिया के सूची से न हटाया जाए।
क्या आयोग ने कोई नया निर्देश जारी किया है?
जी हां, आयोग ने कहा है कि सभी योग्य मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
इस प्रक्रिया में कितने लोग शामिल हैं?
इस प्रक्रिया में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, और अन्य स्वयंसेवक शामिल हैं।
मतदाता सूची पर आपत्तियां कैसे दर्ज की जा सकती हैं?
मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक है, और इसके लिए ऑनलाइन और प्रिंट दोनों प्रारूप उपलब्ध हैं।