क्या पप्पू यादव को जदयू के नीरज कुमार का जवाब उचित था?

सारांश
Key Takeaways
- पप्पू यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- नीरज कुमार का कहना है कि पप्पू के पास राजनीतिक ज्ञान की कमी है।
- बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण का महत्व बढ़ता जा रहा है।
- राजनीतिक दलों के बीच संवाद की कमी से विवाद उत्पन्न हो रहे हैं।
- बिहार में सेक्यूलेरिज्म और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की जा रही है।
पटना, ४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ अपने चरम पर हैं। पक्ष और विपक्ष आपस में फायदे और नुकसान का ब्योरा दे रहे हैं। मीडिया से बातचीत में शुक्रवार को पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने भारत निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कुछ प्रश्न उठाए। अब, जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने उन सवालों का उत्तर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पप्पू यादव के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में नीरज कुमार ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के प्रति अनादर का भाव नहीं होना चाहिए। वे बार-बार कहते हैं कि पप्पू यादव को जितना राजनीतिक ज्ञान नहीं है, उतना मुझे नहीं है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पुनरीक्षण अभियान को अच्छे तरीके से चलने का दावा किया है। इस पर जदयू प्रवक्ता ने कहा, "हम चाहते हैं कि डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा दिए गए वोट डालने के अधिकार का कोई हनन न हो। किसी भी मतदाता को वोट डालने या सूची में नाम जोड़ने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।"
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एएमआईएमआई के बिहार प्रमुख द्वारा राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेजे गए पत्र ने सुर्खियाँ बटोरी हैं। उन्होंने इंडी अलायंस में शामिल होने की इच्छा जताई है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा, "यह तय था कि ४ विधायक मेरी पार्टी से टूटेंगे, लेकिन समय बदला है, अब लालू के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। बिना दान के वहां दरवाजा खुलता कहां है।"
नीरज कुमार ने आगे कहा, "बिहार के मुसलमान जानते हैं कि जब नीतीश कुमार हैं, तो हम सुरक्षित हैं। हमारी तालीम का विकास हो रहा है। मुस्लिम महिलाओं के लिए कार्य किए जा रहे हैं। अन्यथा, लोगों को यह एहसास है कि सेक्यूलेरिज्म का नारा लगाने वाले लालू यादव के राज्य में हालात अच्छे नहीं थे।"
जदयू प्रवक्ता ने यह भी दावा किया, "लालू के शासन में १२ सांप्रदायिक दंगे हुए, लेकिन नीतीश कुमार के २० वर्षों के शासनकाल में किसी भी 'माई के लाल' में इतनी हिम्मत नहीं है कि अल्पसंख्यक को बुरी नज़र से देखे। अगर कोई बुरी नज़र से देखेगा, तो कानून उसकी कड़ी निगरानी करेगा।"
सांसद पप्पू यादव (राजेश रंजन) ने कहा है कि चुनाव आयोग आरएसएस का कार्यालय है।