क्या बिहार में मतदाता पुनरीक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा?

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क्या बिहार में मतदाता पुनरीक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा?

सारांश

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एडीआर ने चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी है, जो लाखों लोगों के मताधिकार को प्रभावित कर सकता है। जानिए इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में और क्या हो सकता है आगे।

Key Takeaways

  • मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
  • याचिका में लाखों मतदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई है।
  • चुनाव आयोग द्वारा विशेष प्रक्रिया की शुरुआत की गई है।
  • यह मामला लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा है।
  • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस प्रक्रिया की दिशा तय करेगा।

नई दिल्ली, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मामला अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहुंच गया है। यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर की गई है।

इस याचिका में चुनाव आयोग के आदेश को ‘मनमाना’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की गई है। एडीआर ने अपनी याचिका में कहा है कि अगर 24 जून का एसआईआर आदेश रद्द नहीं किया गया, तो लाखों मतदाता अपने प्रतिनिधियों को चुनने के अधिकार से वंचित रह सकते हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है, "एसआईआर लोगों के समानता और जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।" इसके अलावा, यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के प्रावधानों के खिलाफ है। अतः इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता का अनुमान है कि 3 करोड़ से अधिक मतदाता, विशेष रूप से एससी, एसटी और प्रवासी श्रमिकों जैसे हाशिए के समूहों से, एसआईआर आदेश में निर्धारित सख्त आवश्यकताओं के कारण अपने वोट देने के अधिकार से वंचित रह सकते हैं।

ज्ञात हो कि, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने विशेष प्रक्रिया शुरू की है, जिसे संक्षेप में एसआईआर कहा जा रहा है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए मतदाता सूची को अपडेट करना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने 1 जुलाई से मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा आरंभ कर दी है।

इस विषय पर विपक्ष निरंतर प्रश्न उठा रहा है। चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि बिहार में मतदाता सूची की गंभीर समीक्षा की अंतिम प्रक्रिया साल 2003 में हुई थी। उसके बाद से यह प्रक्रिया फिर से नहीं हो पाई। इसलिए यह मुहिम आवश्यक है। इस समीक्षा के लिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए एक फॉर्म तैयार किया है।

Point of View

यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जाए। मतदाता के अधिकारों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि किसी भी प्रक्रिया में हाशिए के समूहों का ध्यान रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

मतदाता पुनरीक्षण क्या है?
मतदाता पुनरीक्षण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है, ताकि सभी योग्य मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दायर की गई?
याचिका दायर की गई क्योंकि एडीआर का मानना है कि चुनाव आयोग का आदेश मनमाना है और इससे लाखों मतदाता प्रभावित हो सकते हैं।
ओपिनियन क्या है इस मुद्दे पर?
यह मुद्दा लोकतंत्र की नींव को प्रभावित करता है। सभी मतदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक है।