क्या पहली बूथ कैप्चरिंग बिहार में हुई थी, ईवीएम से हुए निष्पक्ष चुनाव?: संजय झा
सारांश
Key Takeaways
- बिहार में पहली बूथ कैप्चरिंग की घटना 1957 में हुई थी।
- ईवीएम ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई है।
- चुनाव सुधार के बिना लोकतंत्र की मजबूती संभव नहीं है।
- बूथ कैप्चरिंग अवैध है और इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
- एक स्वच्छ मतदाता सूची चुनावी प्रक्रिया की सफलता के लिए आवश्यक है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में ईवीएम के कारण हुए निष्पक्ष चुनाव के चलते इसे कभी नहीं हटाना चाहिए। चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि मौजूदा रिकॉर्ड के अनुसार, सबसे पहला मतदान केंद्र बिहार में कब्जा किया गया था।
संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार के बेगूसराय में 1957 में पहली बूथ कैप्चरिंग हुई थी। उस समय कांग्रेस के राज में सरयू प्रसाद सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे और उनके पक्ष में बूथ कैप्चरिंग की गई थी।
चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान झा ने कहा कि कुछ लोग वोट चोरी का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन बिहार में 2005 में पूरा जनमत ही चोरी हो गया था। उस समय आधी रात को बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की कोशिश की गई थी।
उन्होंने बताया कि जो विधायक चुनाव जीतकर आए थे, वे चुनाव तो जीत गए, लेकिन शपथ नहीं ले सके। झा ने इन आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि बिहार में चुनाव की सच्चाई अब उजागर हो चुकी है।
संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में एसआईआर की बात की जा रही है, लेकिन यह पहले भी किया जा चुका है। 2003 में जब तकनीक इतनी विकसित नहीं थी, तब मात्र एक महीने में एसआईआर पूरी की गई थी। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार तब तक अधूरा रहेगा जब तक मतदाता सूची पूरी तरह स्वच्छ नहीं होती।
उन्हें लगता है कि एसआईआर की प्रक्रिया में सभी राजनीतिक दलों को बुलाया गया था और यह पूरी तरह पारदर्शी थी। कहीं भी शिकायत नहीं आई। झा ने बताया कि कांग्रेस के राज में एक प्रोफेशनल तरीके से बूथ कैप्चरिंग की जाती थी।
उन्होंने कहा कि 2005 में पहली बार जब केजे राव को चुनाव के लिए बिहार भेजा गया, तब लोगों ने पहली बार निष्पक्ष चुनाव का अनुभव किया। पहले चुनाव में लोग लाइन लगाकर ईवीएम के जरिए अपना वोट डालते थे।
झा ने कहा कि बिहार के अनुभव से पता चलता है कि 65 लाख वोट कटे, जिनमें 40 प्रतिशत ऐसे वोटर्स थे, जिनकी 2003 से 2025 के बीच मृत्यु हो चुकी थी। कई वोटर्स पलायन कर गए हैं। उन्होंने कहा कि ईवीएम को कभी नहीं हटाना चाहिए। वे इसके पक्के समर्थक हैं। यही कारण है कि बिहार में निष्पक्ष चुनाव हुए हैं।