क्या बिहार से नीतीश की विदाई तय है, तेजस्वी के नेतृत्व में बनेगी अगली सरकार?
सारांश
Key Takeaways
- रोहिणी आचार्य ने नीतीश कुमार की विदाई का दावा किया।
- तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नई सरकार बनने की संभावना है।
- महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर एनडीए की आलोचना की गई।
पटना, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने बिहार चुनाव में एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बताया कि इस चुनाव में नीतीश कुमार की विदाई निश्चित है और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार की अगली सरकार का गठन होगा।
मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को 2005 में पहचानना शुरू किया था, और यह पहचान लालू यादव ने दी थी। उन्होंने कहा कि बिहार भाजपा के सभी नेता लालू जी के 'प्रोडक्ट' हैं।
उन्होंने कहा कि एनडीए के कई नेता आज भी लालू के नाम का इस्तेमाल अपने राजनीतिक करियर को चमकाने के लिए कर रहे हैं। रोहिणी आचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार की जनता समझदार है और इस बार नीतीश कुमार की विदाई सुनिश्चित है।
उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार कहते थे कि नौकरियां पैदा करना असंभव है, लेकिन तेजस्वी यादव ने उस असंभव को संभव करके दिखाया है। उन्होंने 5 लाख नियुक्ति पत्र बांटे हैं। रोहिणी आचार्य ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि आजकल हत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। मोकामा और आरा में अपराध की घटनाएं सामने आई हैं। पटना में भी व्यापारियों की हत्या हुई है। उन्होंने पूछा, "कहाँ है सुशासन?"
एनडीए के संकल्प पत्र पर रोहिणी आचार्य ने कहा कि तेजस्वी यादव ने एनडीए को घुटनों पर ला दिया है। जो घोषणाएं तेजस्वी ने की थीं, एनडीए ने केवल उन्हें कॉपी-पेस्ट किया है।
महिला अधिकारों के मुद्दे पर रोहिणी आचार्य ने कहा कि एनडीए को तेजस्वी के प्रस्तावों को अपनाने में वर्षों लग गए। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से वे महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण में असफल रहे हैं।
भाजपा और एनडीए महिला समर्थन का दावा करते हैं, लेकिन उनके उम्मीदवारों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व न्यूनतम है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को बताना चाहिए कि इस चुनाव में कितनी महिलाओं को टिकट दिया गया है।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह वही एनडीए सरकार है, जिसमें मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड हुआ। योगी आदित्यनाथ को इस पर बोलना चाहिए था। मोकामा और आरा की घटनाओं पर वे क्यों नहीं बोलते हैं?