क्या बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर को सुनवाई होगी?

Click to start listening
क्या बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर को सुनवाई होगी?

सारांश

7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई होगी। यह मामला मतदाता सूची में आधार कार्ड के उपयोग से संबंधित है, जो चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। क्या यह प्रक्रिया सही है? जानें सभी महत्वपूर्ण बातें।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
  • यह मामला आधार कार्ड के उपयोग से संबंधित है।
  • चुनाव आयोग को नियमों का पालन करने का निर्देश दिया जा सकता है।
  • अदालत का निर्णय पूरे देश में लागू होगा।
  • पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर को पुनः सुनवाई होगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की थी।

यह मामला मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में मान्यता देने से संबंधित है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के प्रतिनिधि प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग को अपनी मैनुअल और मौजूदा नियमों का पालन करना चाहिए। अगर अदालत के आदेश के बाद 1 अक्टूबर को प्रकाशित होने वाली मतदाता सूची को निरस्त किया गया, तो स्थिति क्या होगी?

उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव अक्टूबर के मध्य में घोषित होने वाले हैं, और तब तक कोई विकल्प नहीं बचेगा। इसलिए उन्हें नियमों का पालन करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वे केवल अदालत के आदेशों का पालन कर रहे हैं, बाकी नियमों का नहीं। न्यूनतम पारदर्शिता होनी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर को करेंगे, तब तक आप सभी अपनी दलीलों का संक्षिप्त नोट तैयार करें और उल्लंघनों का एक संकलन तैयार करके हमें दें।

पिछली सुनवाई में, कोर्ट ने चुनाव आयोग को औपचारिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान, जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी से पूछा कि वर्तमान स्थिति क्या है और क्या यह देखने के लिए इंतजार नहीं करना चाहिए कि कितने लोग वास्तव में मतदाता सूची से बाहर हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि चुनाव आयोग यह प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी लागू कर रहा है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द की जाए, क्योंकि यदि यह प्रक्रिया संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन करती है, तो इसे देश के अन्य हिस्सों में लागू नहीं किया जाना चाहिए।

वकील वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया कि कानून के अनुसार, नामांकन की अंतिम तिथि तक मतदाता सूची में नाम जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन इस प्रक्रिया से लोगों को उनके मताधिकार से अवैध रूप से वंचित किया जा रहा है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी मामले की शीघ्र सुनवाई की मांग की, क्योंकि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को पूरे देश में लागू करने की घोषणा की है।

जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि कोर्ट इस मामले में जो भी निर्णय लेगा, वह पूरे देश में लागू होगा, जहाँ भी चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को लागू करने की योजना बना रहा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों का पालन अत्यावश्यक है। बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाएँ न केवल स्थानीय चुनावों के लिए, बल्कि पूरे देश में चुनावी प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। अदालत का निर्णय इस दिशा में क्या संकेत देगा, यह देखने योग्य है।
NationPress
15/09/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
एसआईआर का तात्पर्य है 'विशेष गहन पुनरीक्षण', जो मतदाता सूची में सुधार करने की प्रक्रिया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कब होगी?
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
इस मामले में क्या महत्वपूर्ण है?
यह मामला मतदाता सूची में आधार कार्ड के उपयोग और चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं से संबंधित है।
क्या अदालत का निर्णय पूरे देश में लागू होगा?
हाँ, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि अदालत का निर्णय पूरे देश में लागू होगा।
याचिकाकर्ता कौन हैं?
याचिकाकर्ता में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हैं।