क्या बिहार एसआईआर पर विपक्ष का हंगामा जारी है, लेकिन चुनाव आयोग में एक भी आपत्ति क्यों नहीं दर्ज?

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क्या बिहार एसआईआर पर विपक्ष का हंगामा जारी है, लेकिन चुनाव आयोग में एक भी आपत्ति क्यों नहीं दर्ज?

सारांश

बिहार में चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चल रही राजनीतिक बहस के बावजूद, विपक्षी दलों द्वारा किसी भी त्रुटि को दूर करने के लिए कोई भी आपत्ति दर्ज नहीं की गई है। क्या यह स्थिति बिहार में लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाती है?

Key Takeaways

  • बिहार में एसआईआर पर कोई आपत्ति नहीं दर्ज की गई है।
  • मतदाता सूची में 65 लाख मतदाताओं के नाम नहीं हैं।
  • चुनाव आयोग ने सभी दलों को त्रुटियों को सुधारने का निर्देश दिया था।
  • बिहार में कुल 3,659 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं।
  • 22 लाख मृत मतदाताओं के नाम सूची में हैं।

पटना, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक खींचतान जारी है, लेकिन चुनाव आयोग में किसी भी विपक्षी दल ने त्रुटियों को दूर करने के लिए कोई भी दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है। यह जानकारी बुधवार को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा साझा की गई।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में किसी भी योग्य मतदाता का नाम छूटने या किसी अयोग्य मतदाता का नाम जुड़ने की संभावना नहीं होनी चाहिए। इसके लिए 1 अगस्त को जारी की गई प्रारूप मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने के लिए सभी राजनीतिक दलों और आम जनता को अपने दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था।

बुधवार को चुनाव आयोग ने एसआईआर बुलेटिन जारी किया, जिसमें अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस प्रक्रिया में कोई दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है।

आयोग के आंकड़ों के अनुसार, योग्य मतदाताओं को शामिल करने और अयोग्य मतदाताओं को हटाने संबंधी निर्वाचकों से कुल 3,659 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इसके अतिरिक्त, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु प्राप्त नए मतदाताओं से फॉर्म 6 और घोषणा पत्र समेत कुल 19,186 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

आयोग ने कहा है कि दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित निर्वाचन अधिकारी (ईआरओ और एईआरओ) की ओर से 7 दिनों की अवधि समाप्त होने के बाद किया जाएगा। एसआईआर के नियमों के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी नाम को बिना जांच, उचित अवसर और स्पष्ट आदेश के हटाया नहीं जा सकता है।

बता दें, चुनाव आयोग ने बिहार में 24 जून से 25 जुलाई तक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान चलाया। इस प्रक्रिया के दौरान कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किए। 1 अगस्त को प्रकाशित राज्य की नई मसौदा मतदाता सूची में 65 लाख मतदाताओं के नाम नहीं थे।

65 लाख मतदाताओं में 22 लाख वे लोग थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन वोटर लिस्ट में नाम था। करीब 36 लाख (4.59 प्रतिशत) वे मतदाता हैं, जो दूसरी जगह रह रहे हैं या जिन्होंने फॉर्म नहीं भरे हैं। 7 लाख (0.89 प्रतिशत) ने दोहरा नामांकन कराया था।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बिहार में चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना आवश्यक है। यदि विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा है, तो उन्हें उसे चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। यह लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या विपक्ष ने चुनाव आयोग में कोई आपत्ति दर्ज कराई है?
नहीं, अभी तक किसी भी विपक्षी दल ने चुनाव आयोग में कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य मतदाता सूची में योग्य मतदाताओं को शामिल करना और अयोग्य मतदाताओं को हटाना है।
बिहार में एसआईआर कब से कब तक चला?
यह अभियान 24 जून से 25 जुलाई तक चला।
कितने मतदाताओं के नाम नई सूची में नहीं हैं?
65 लाख मतदाताओं के नाम नई सूची में नहीं हैं।
क्या दोहरा नामांकन करने वाले मतदाता हैं?
हां, 7 लाख मतदाता दोहरा नामांकन कर चुके हैं।