क्या बिहार चुनाव में लालगंज सीट पर बाहुबल, जातीय समीकरण और विकास का टकराव होगा?

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क्या बिहार चुनाव में लालगंज सीट पर बाहुबल, जातीय समीकरण और विकास का टकराव होगा?

सारांश

बिहार के लालगंज विधानसभा क्षेत्र में आगामी चुनावों में बाहुबल, जातीय समीकरण और विकास के मुद्दे एक नई चुनौती पेश कर सकते हैं। क्या ये चुनावी मुद्दे इस सीट के राजनीतिक भविष्य को बदल देंगे? जानिए इस क्षेत्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के बारे में।

Key Takeaways

  • लालगंज विधानसभा सीट का गठन 1951 में हुआ था।
  • यह क्षेत्र बाहुबल और अपराध की राजनीति से जुड़ा रहा है।
  • कृषि और विकास के मुद्दे अब मुख्य चुनावी मुद्दे बन गए हैं।
  • 2025 का विधानसभा चुनाव इस सीट के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  • यहाँ की जनसंख्या लगभग 573916 है।

पटना, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के वैशाली जिले की लालगंज विधानसभा सीट प्रदेश की बदलती सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य का प्रतीक बन गई है। शहरीकरण और बढ़ती व्यापारिक गतिविधियों के चलते लालगंज अब राज्य के सबसे उभरते क्षेत्रों में गिना जाने लगा है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस क्षेत्र का विशेष महत्व रहा है। ब्रिटिश शासनकाल में लालगंज एक प्रमुख प्रशासनिक क्षेत्र था और 1969 में इसे नगर परिषद (नगर बोर्ड) का दर्जा प्राप्त हुआ।

लालगंज की भौगोलिक स्थिति इसे आर्थिक दृष्टि से संपन्न बनाती है। गंडक नदी के किनारे स्थित इस क्षेत्र में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था के कारण धान, गेहूं, मक्का, दालें, सब्जियाँ और तंबाकू जैसी फसलें भरपूर होती हैं। हाल के वर्षों में किसानों ने केला, लीची, आम की बागवानी और डेयरी फार्मिंग की ओर भी ध्यान दिया है। यहाँ से जिला मुख्यालय हाजीपुर 20 किमी, मुजफ्फरपुर 37 किमी और पटना मात्र 39 किमी की दूरी पर स्थित है।

लालगंज की पहचान केवल विकास या कृषि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बाहुबल और अपराध से भी जुड़ी रही है। इस क्षेत्र की राजनीति लंबे समय से बाहुबलियों के प्रभाव में रही है, जिनमें सबसे प्रसिद्ध नाम विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला है। वे तीन बार विधायक रह चुके हैं और कुख्यात अपराधी छोटन शुक्ला के छोटे भाई हैं। तत्कालीन मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में निचली अदालत ने मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, लेकिन पटना हाईकोर्ट से बरी होने के बाद वे राजनीति में लौट आए और 2000 में निर्दलीय, फरवरी 2005 में एलजेपी और अक्टूबर 2005 में जेडीयू के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते। उनकी पत्नी अन्नू शुक्ला ने 2010 में जेडीयू से जीत हासिल की। हालाँकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए मुन्ना शुक्ला को फिर से आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

साल 1951 में स्थापित लालगंज विधानसभा सीट हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। प्रारंभिक वर्षों में इसे लालगंज उत्तर और दक्षिण में विभाजित किया गया था। कांग्रेस ने प्रारंभिक दौर में यहाँ मजबूत पकड़ बनाई थी। लालगंज दक्षिण से तीन और लालगंज उत्तर से एक निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए। 1967 में परिसीमन के बाद इसे एकीकृत सीट बना दिया गया।

अब तक यहाँ 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने चार बार, जबकि जनता दल, जेडीयू और एलजेपी ने दो-दो बार जीत दर्ज की है। इसके अतिरिक्त लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, एक निर्दलीय और भाजपा ने भी एक-एक बार जीत हासिल की। 2020 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने यह सीट जीती। संजय कुमार सिंह ने बहुकोणीय मुकाबले में जीत दर्ज की थी। उस समय मुन्ना शुक्ला को जेडीयू से टिकट नहीं मिला था और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था।

जातीय समीकरण की बात की जाए तो लालगंज मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है। 2025 का विधानसभा चुनाव लालगंज के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। भाजपा अपनी पहली जीत को दोहराने का प्रयास करेगी, जबकि आरजेडी और जेडीयू दोनों इस सीट को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। बाहुबल और जातीय समीकरण के साथ-साथ अब विकास भी यहाँ का एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन चुका है।

2024 में चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यहाँ की जनसंख्या 573916 है, जिसमें 302571 पुरुष और 271345 महिलाएँ हैं। यहाँ कुल 350651 वोटर हैं, जिसमें 183303 पुरुष, 167330 महिलाएँ और 18 थर्ड जेंडर हैं।

Point of View

अब विकास और जातीय समीकरण चुनावों में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि मतदाता इन चुनावों में विकास को प्राथमिकता दें और सही चुनाव करें।
NationPress
12/10/2025

Frequently Asked Questions

लालगंज विधानसभा सीट का इतिहास क्या है?
लालगंज विधानसभा सीट का गठन 1951 में हुआ और यह हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
लालगंज की प्रमुख फसलें कौन सी हैं?
लालगंज में धान, गेहूं, मक्का, दालें, सब्जियाँ और तंबाकू प्रमुख फसलें हैं।
बाहुबल का प्रभाव इस क्षेत्र में कितना है?
लालगंज की राजनीति में बाहुबल का गहरा प्रभाव रहा है, जिसमें विजय कुमार शुक्ला जैसे बाहुबली शामिल हैं।
2025 का विधानसभा चुनाव लालगंज के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
2025 का चुनाव लालगंज के राजनीतिक भविष्य के लिए निर्णायक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि यहाँ विकास और जातीय समीकरण महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।
यहाँ की जनसंख्या कितनी है?
2024 में जारी आंकड़ों के अनुसार, यहाँ की जनसंख्या 573916 है।