क्या लालू यादव के गृह क्षेत्र हथुआ में सियासी घमासान निर्णायक होगा?

सारांश
Key Takeaways
- हथुआ विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह क्षेत्र लालू यादव का गृहनगर है।
- जातीय समीकरणों का गहरा प्रभाव है।
- 2020 में राजद ने यहां जीत हासिल की।
- आगामी चुनावों में हथुआ का राजनीतिक समीकरण निर्णायक हो सकता है।
पटना, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित हथुआ विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की राजनीति में अपनी खास पहचान रखता है। यह क्षेत्र गोपालगंज लोकसभा सीट का हिस्सा होने के साथ-साथ इसीलिए भी प्रमुख है क्योंकि यहां का फुलवरिया गांव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का पैतृक गांव है। राजनीति और इतिहास दोनों के संदर्भ में, हथुआ का क्षेत्रीय समीकरण बिहार की सत्ता के रुख को दर्शाता है।
भौगोलिक दृष्टि से हथुआ बिहार के पश्चिमी गंगा के उपजाऊ मैदान में बसा है। जलोढ़ मिट्टी की प्रचुरता के कारण यहां धान, गेहूं, मक्का और गन्ना जैसी फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। कृषि यहां की मुख्य आर्थिक धुरी है। इसके अलावा, यहां के लोग डेयरी व्यवसाय और छोटे व्यापारों से भी जुड़े हुए हैं। रोजगार की कमी और सीमित औद्योगिक अवसरों के कारण पलायन यहां की एक बड़ी सामाजिक समस्या बनी हुई है। हाल के वर्षों में सड़क संपर्क और बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, जिससे विकास की गति में तेजी आई है।
गोपालगंज जिला मुख्यालय से हथुआ लगभग 20 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। इसके पूर्व में मीरगंज, दक्षिण-पश्चिम में सिवान और छपरा जिले की सीमाएं हैं। राजधानी पटना से हथुआ की दूरी लगभग 160 किलोमीटर है। सिवान-गोपालगंज रेल लाइन पर स्थित हथुआ और मीरगंज रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र को राज्य के अन्य हिस्सों से जोड़ते हैं।
राजनीतिक दृष्टि से हथुआ विधानसभा क्षेत्र में हथुआ और फुलवरिया प्रखंडों के अलावा उच्चकागांव ब्लॉक के जमसर, त्रिलोकपुर, मोहैचा और बलेसरा ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं। मीरगंज नगर पंचायत भी इस क्षेत्र का हिस्सा है। यहां लालू प्रसाद यादव का गृह क्षेत्र होने के बावजूद राजद को लंबे समय तक सफलता नहीं मिली।
2008 में क्षेत्र के गठन के बाद हुए पहले दो चुनावों (2010 और 2015) में जदयू ने जीत हासिल की। राजद को यहां पहली बार सफलता 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली, जब उसने जदयू को कड़ी टक्कर देकर सीट अपने नाम की। यह जीत न केवल राजद के लिए प्रतीकात्मक थी, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि लालू यादव के गृह क्षेत्र में पार्टी ने अपनी खोई पकड़ फिर से प्राप्त कर ली है। राजनीति, इतिहास और सामाजिक संरचना के इस अद्भुत मिश्रण के कारण हथुआ विधानसभा क्षेत्र बिहार के उन इलाकों में से एक है, जहां का हर चुनाव केवल एक सीट नहीं, बल्कि पूरे राज्य के जनमत का संकेत माना जाता है।
हथुआ की राजनीति में जातीय समीकरणों का गहरा प्रभाव है। यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया, कुशवाहा और दलित समुदाय यहां के प्रमुख मतदाता समूह हैं। यादवों की बहुलता राजद के पक्ष में जाती है, जबकि राजपूत और ऊपरी जातियों का झुकाव आमतौर पर जदयू या भाजपा की ओर होता है। मीरगंज और फुलवरिया जैसे इलाकों में मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जो कई बार गठबंधन समीकरणों को बदल देते हैं।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, हथुआ विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,29,438 है, जिसमें 2,67,896 पुरुष और 2,61,542 महिलाएं शामिल हैं। कुल 3,20,877 मतदाताओं में से 1,62,882 पुरुष, 1,57,988 महिलाएं और 7 थर्ड जेंडर वोटर हैं।