क्या छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आईईडी ब्लास्ट में कोबरा कमांडो घायल हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- बीजापुर में एक कोबरा कमांडो घायल हुआ।
- घटना आईईडी ब्लास्ट के कारण हुई।
- माओवादियों का खतरा अभी भी बरकरार है।
- सरकार ने पुनर्वास नीति को लागू किया है।
- सुरक्षा बलों ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है।
रायपुर, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में माओवादियों के आईईडी ब्लास्ट में एक कोबरा कमांडो को मामूली चोटें आई हैं। यह घटना उसूर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत पूजारी कांकेर के निकट हुई।
सूत्रों के अनुसार, फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) की एक टीम शनिवार सुबह नियमित गश्त पर निकली थी। जब सुरक्षा बल जंगल में छानबीन कर रहे थे, तभी माओवादियों द्वारा लगाए गए प्रेशर एक्टिवेटेड आईईडी में विस्फोट हो गया, जिसमें कोबरा 206 बटालियन का एक जवान घायल हो गया।
घायल जवान को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। अधिकारियों ने यह पुष्टि की है कि कमांडो की स्थिति स्थिर है और वह खतरे से बाहर है।
छत्तीसगढ़ में माओवादी अब भी सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती बने हुए हैं। बड़ी संख्या में माओवादियों के आत्मसमर्पण के बावजूद खतरा अभी भी बरकरार है।
छत्तीसगढ़ देश के उन प्रमुख राज्यों में से एक है, जहां माओवादी हिंसा की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं। इस हिंसा के पीछे दशकों से सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन, आदिवासी विस्थापन और संसाधनों का शोषण जैसे कई कारण रहे हैं।
प्रमुख वामपंथी उग्रवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) ने स्थानीय असंतोषों का फायदा उठाकर बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे जिलों में अपनी पकड़ मजबूत की है। एक समय माओवादियों का प्रभाव छत्तीसगढ़ के २७ जिलों में से १८ जिलों में था।
माओवादी घात लगाकर और जमीन में आईईडी छिपाकर सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं और विकास कार्यों को बाधित करते रहे हैं। हालांकि, निरंतर चलाए जा रहे ऑपरेशनों की वजह से पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों को महत्वपूर्ण सफलता मिली है।
इसी महीने की शुरुआत में बीजापुर में १०३ माओवादी नेताओं ने हथियार डाल दिए। उन्होंने माओवादी विचारधारा से निराशा और संगठन के भीतर मतभेद को आत्मसमर्पण का कारण बताया।
राज्य सरकार की पुनर्वास नीति ने कई माओवादी कार्यकर्ताओं को हथियार छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने सुरक्षा और विकास दोनों में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, ताकि उग्रवाद की जड़ें खत्म की जा सकें और क्षेत्र में स्थिरता लाई जा सके।