क्या बिना यात्रा के भी ‘इंटरनल जेट लैग' से डिप्रेशन का खतरा हो सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- इंटरनल जेट लैग बिना यात्रा के भी हो सकता है।
- सर्कैडियन रिदम में गड़बड़ी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
- 23 प्रतिशत मरीजों में इस समस्या के लक्षण पाए गए।
- उपचार के लिए बायोलॉजिकल क्लॉक को सही करना जरूरी है।
- लाइट थेरेपी और मेलाटोनिन सप्लीमेंट लाभकारी हो सकते हैं।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जेट लैग, जो आमतौर पर लंबी उड़ानों के बाद होता है, एक नींद का विकार है, जो थकान और पाचन समस्याएं उत्पन्न करता है। यह शरीर की इंटरनल बायोलॉजिकल क्लॉक, यानी सर्कैडियन रिदम के नए समय क्षेत्र के साथ तालमेल न बैठाने के कारण होता है। हालाँकि, सिडनी विश्वविद्यालय के एक नए शोध ने यह चौंकाने वाला तथ्य सामने रखा है कि बिना यात्रा किए भी ‘इंटरनल जेट लैग’ की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जो डिप्रेशन और अन्य मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है।
सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जोआन कारपेंटर ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के उन युवाओं पर अध्ययन किया गया जो मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आए थे। हैरानी की बात यह थी कि इनमें से कुछ लोगों में जेट लैग जैसे लक्षण दिखे, जबकि उन्होंने कोई यात्रा नहीं की थी। इस शोध में शरीर के तापमान, कोर्टिसोल और मेलाटोनिन स्तरों का विश्लेषण किया गया, जो सर्कैडियन रिदम को नियंत्रित करते हैं। यह रिदम नींद और जागने जैसे 24 घंटे के चक्र को संचालित करता है।
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपे एक लेख के अनुसार, मानव शरीर की सर्कैडियन रिदम नींद और जागने के चक्र को नियंत्रित करती है, जो मेलाटोनिन और शरीर के तापमान से प्रभावित होती है। रात में मंद प्रकाश मेलाटोनिन का स्तर बढ़ाता है, जिससे नींद आती है, और तापमान कम होने से सतर्कता घटती है। सुबह में मेलाटोनिन का स्तर कम होता है, तापमान बढ़ता है, और जागृति बढ़ती है। उज्ज्वल प्रकाश इस चक्र को संशोधित करता है, लेकिन हवाई यात्रा से समय क्षेत्र बदलने पर यह रिदम तुरंत नहीं बदलता। इससे जेट लैग होता है, जिसके लक्षणों में दिन में नींद, मूड बदलाव, पाचन समस्याएं और अनिद्रा शामिल हैं।
अध्ययन में पाया गया कि 23 प्रतिशत मरीजों में ‘इंटरनल जेट लैग’ था, अर्थात उनकी बायोलॉजिकल क्लॉक में गड़बड़ी थी। यह स्थिति डिप्रेशन, मेनिया या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक समस्याओं से जुड़ी हो सकती है। डिप्रेशन में लगातार उदासी, मेनिया में अत्यधिक खुशी और बाइपोलर डिसऑर्डर में दोनों का मिश्रण देखा जाता है।
शोध के अनुसार, सर्कैडियन रिदम में गड़बड़ी इन डिसऑर्डर को बढ़ा सकती है। यह खोज मानसिक स्वास्थ्य के उपचार में नई दिशा प्रदान करती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मूड डिसऑर्डर के उपचार में बायोलॉजिकल क्लॉक को ठीक करना आवश्यक है। इसके लिए लाइट थेरेपी, नियमित नींद का समय और मेलाटोनिन सप्लीमेंट जैसे उपाय मददगार हो सकते हैं। युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते मामलों के बीच यह शोध महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।