क्या भाजपा ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया?

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल का समय भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है।
- इंदिरा गांधी की कार्रवाई पर आज भी चर्चा हो रही है।
- भाजपा ने युवा पीढ़ी को जागरूक करने का प्रयास किया।
- आपातकाल के दौरान मीडिया पर सेंसरशिप लागू की गई थी।
- कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया गया है।
सिरोही, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के सिरोही में गुरुवार को वर्ष 1975 में देश में लागू किए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सर्किट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस अवसर पर भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर कड़ा हमला किया। भाजपा नेताओं ने इस दिन को ‘काला दिवस’ घोषित करते हुए कांग्रेस को लोकतंत्र की हत्या करने वाला बताया।
इस कार्यक्रम में भाजपा के जिला महामंत्री नरपतसिंह राणावत और बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। भाजपा ने युवा पीढ़ी को आपातकाल के अंधकारमय दौर से अवगत कराने का उद्देश्य रखा।
प्रदेश सरकार के मंत्री ओटाराम देवासी ने कहा कि सिरोही में हुई प्रेस वार्ता में उस काले दौर को याद किया गया, जब 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की थी। उन्होंने कहा कि इंदिरा ने जनता के अधिकारों का दमन किया और अपनी सत्ता को बचाने के लिए यह कदम उठाया।
भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. रक्षा भंडारी ने कहा कि आपातकाल के दौरान मीडिया पर सेंसरशिप थोप दी गई और आम नागरिकों तथा विपक्ष की आवाज़ को दबाया गया। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय बताया। डॉ. भंडारी ने कहा कि आपातकाल में जनता पर हुए अत्याचारों को आज के युवाओं को जानना आवश्यक है, इस उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
वहीं, सांसद लुंबाराम चौधरी ने कहा कि कांग्रेस आज संविधान की बात करती है, लेकिन सत्ता में रहते हुए उसने उसी संविधान को कुचला। इंदिरा गांधी ने सत्ता को बचाने के लिए आपातकाल लागू किया, जिससे लोगों को सरकार से सवाल पूछने का अधिकार नहीं था। इस दौरान जनता को अनेक प्रकार की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा।