क्या विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं करना चाहिए? भाजपा का तंज विशेष गहन पुनरीक्षण मामले पर

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने पुनरीक्षण प्रक्रिया में कोई रोक नहीं लगाई।
- भाजपा ने विपक्ष की आलोचना की है।
- भाजपा सांसदों का कहना है कि चुनाव आयोग अपने अधिकारों का सही उपयोग कर रहा है।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चल रहे विवाद के बीच, भाजपा नेताओं ने विपक्ष पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने और चुनाव आयोग (ईसीआई) पर संदेह जताने के लिए कड़ी आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट ने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने से मना कर दिया है, साथ ही निष्पक्षता और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए सुझाव भी दिए हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने शुक्रवार को कहा कि विपक्षी नेता, विशेष रूप से मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण पर स्टे लगाने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने कोई स्टे नहीं दिया। कोर्ट ने कुछ सुझाव दिए हैं, जो उचित हैं। अंतिम सुनवाई में फैसला आएगा। विपक्ष के नेताओं को भी सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए। ये लोग उस पर भी बयान देते हैं। जब ये कहीं चुनाव जीतते हैं तो चुनाव आयोग अच्छा होता है और जब हारते हैं तो आयोग पर निशाना साधते हैं।
भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि चुनाव आयोग अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल कर रहा है। पहले लोग इसे पूरी तरह से नहीं समझते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, अब यह स्पष्ट है कि आयोग को विशेष संशोधन करने का पूरा अधिकार है। राजनीतिक दलों को अब इस मुद्दे का राजनीतिकरण बंद कर देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिहार में वास्तविक मतदाता अपने मताधिकार से वंचित न हों।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह आधार कार्ड, मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) और राशन कार्ड को मतदाता पंजीकरण के लिए वैध दस्तावेज माने। न्यायालय ने कहा कि 11 स्वीकार्य दस्तावेजों की आधिकारिक सूची संपूर्ण नहीं है।
राजद सांसद मनोज झा ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि बिहार में चल रहे मतदाता सत्यापन अभियान से हाशिए पर पड़े समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।