क्या बीएलओ की समस्याओं पर प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए? : गवर्नर सीवी आनंद बोस
सारांश
Key Takeaways
- बीएलओ की अहम भूमिका चुनाव प्रक्रिया में होती है।
- प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
- राज्यपाल का हस्तक्षेप आवश्यक हो सकता है।
- चुनाव आयोग की दक्षता पर भरोसा।
- बीएलओ की समस्याओं का समाधान जरूरी है।
कोलकाता, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य में बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर्स) द्वारा बढ़ते काम के बोझ के चलते हो रहे विरोध-प्रदर्शनों पर प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यह ऐसी समस्याएं हैं, जिन पर प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि प्रशासनिक स्तर पर कहीं कोई कमी होती है, तो वे राज्यपाल के रूप में हस्तक्षेप करने में संकोच नहीं करेंगे।
राज्यपाल बोस ने बताया कि हाल ही में उन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्रों का दौरा किया, जहां उन्होंने बीएसएफ अधिकारियों और स्थानीय निवासियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सीमा पर स्थिति इस समय पूरी तरह से नियंत्रण में है और उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत की सूचना नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि बीएलओ चुनाव प्रक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। मतदान केंद्रों की तैयारी से लेकर मतदाता सूची के अद्यतन तक, हर चरण में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे में यदि वे कार्यभार को लेकर परेशान हैं, तो सरकार और प्रशासन का दायित्व है कि उन्हें उचित सहयोग और सुविधाएं प्रदान करें।
जब राज्यपाल से भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र से जुड़े सवाल पूछे गए, तो उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने विश्वास जताया कि चुनाव आयोग एक मजबूत और संतुलित संस्था है, जो किसी भी स्थिति को प्रभावी और निष्पक्ष तरीके से संभालने में सक्षम है।
राज्यपाल ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमेशा जटिल परिस्थितियों में अपनी दक्षता साबित की है और इस बार भी वह सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आयोग समय पर सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करेगा और सुनिश्चित करेगा कि चुनाव शांति और पारदर्शिता के साथ संपन्न हों।
राज्य में बीएलओ का कहना है कि उन्हें असामान्य रूप से अधिक कार्यभार दिया जा रहा है, जिससे उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिंदगी प्रभावित हो रही है।